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सरकार के जल-जीवन-हरियाली मिशन पर पानी फेर रहे अतिक्रमणकारी

मुंगेर : सरकार ने जल-जीवन-हरियाली मिशन की शुरुआत की है. जिसके तहत जिला प्रशासन ने सरकारी एवं गैर सरकारी तालाब, आहर-पाईन, चेकडेम, कुआं का सर्वेक्षण कराया. ताकि जल स्रोतों के इस माध्यम को व्यवस्थित कर इसे सुरक्षित व संरक्षित किया जा सके. लेकिन सरकार के इस मिशन को अतिक्रमणकारी चुनौती देने के लिए तैयार है. […]

मुंगेर : सरकार ने जल-जीवन-हरियाली मिशन की शुरुआत की है. जिसके तहत जिला प्रशासन ने सरकारी एवं गैर सरकारी तालाब, आहर-पाईन, चेकडेम, कुआं का सर्वेक्षण कराया. ताकि जल स्रोतों के इस माध्यम को व्यवस्थित कर इसे सुरक्षित व संरक्षित किया जा सके. लेकिन सरकार के इस मिशन को अतिक्रमणकारी चुनौती देने के लिए तैयार है. क्योंकि अधिकांश तालाबों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है और कई निजी तालाब खेत बन चुका है.

जिला प्रशासन ने जो सर्वे कराया है उसके तहत सार्वजनिक तालाबों की संख्या 312 है. जबकि 777 आहर-पाईन, 170 चेकडेम, 2556 कुआं है. जिसको बचाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर पहल प्रारंभ किया गया है. लेकिन जिले के अधिकांश तालाबों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है.
जिला मुख्यालय के मत्स्य विभाग के समीप सरकारी तालाब पूरी तरह से सूख चुका है. जबकि मिर्ची तालाब का अतिक्रमण कर लोगों ने घर बना लिया है. लालदरवाजा स्थित जमुना तालाब पूरी तरह से अब खेत बन चुका है. बसंती तालाब को लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है. धीरे-धीरे इसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया है.
खड़गपुर के राजा-रानी तालाब का भी लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है. यह आज मवेशी का चारागाह बना हुआ है. जबकि किला खाई को लोग बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर घर बना रहे है. ऐसी परिस्थिति में जिला प्रशासन को जल-जीवन-हरियाली मिशन को सफल बनाने के लिए सबसे पहले अतिक्रमणकारियों को खिलाफ अभियान चलाना होगा.
केस स्टडी 3
जमालपुर के इंद्ररुख भलार बाइपास से सटे इंद्ररुख मौजा में अवस्थित अति प्राचीन विदेशी राम तालाब का अस्तित्व आज खतरे में है. करीब 12 बीघे में फैले विदेशी राम तालाब को भू-माफिया द्वारा तालाब का अतिक्रमण कर उसे मिट्टी डाल कर भर दिया गया व फर्जी तरीके से बेचा जा रहा है. अगर प्रशासन ने समय रहते इस तालाब को बचाने का प्रयास नहीं किया तो आगे इससे अतिक्रमण हटाने में विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो जायेगी.
केस स्टडी 6
जमालपुर प्रखंड के इंदरूख पूर्वी पंचायत स्थित गौरीपुर का गंगटी तालाब सिमट कर रह गया है. कभी लगभग चार बीघे में फैला इसका रकवा अब सिमट कर एक बीघे में ही रह गया है. जिसे आज बचाने की जरूरत है. सरकार का जल-जीवन-हरियाली मिशन शायद इस तालाब के लिए संजीवनी का काम करेंगी.
कहते हैं नोडल पदाधिकारी
जल-जीवन-हरियाली के नोडल पदाधिकारी सह उपविकास आयुक्त प्रशांत कुमार सीएच ने कहा कि इस योजना के तहत जिले में तालाब, कुएं और आहर-पइन का प्रथम चरण में सर्वे कराया गया है. कई विभाग एक साथ समन्वय स्थापित कर इस पर काम कर रही है. जिन जल स्रोतों पर अतिक्रमणकारियों द्वारा अतिक्रमण किया गया है उसे मुक्त कराया जायेगा.
मिर्ची तालाब पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा
केस स्टडी 2 : शहर के लालदरवाजा स्थित सार्वजनिक मिर्ची तालाब को भी अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है. चार एकड़ में फैला यह तलाब धीरे-धीरे सिकुड़ता चला जा रहा है. तालाब को भर कर लोग उसके बांध पर घर बना लिया है. जबकि अधिकांश परिवारों ने तालाब पर ही शौचालय का निर्माण करा लिया है. जिसका शौच तालाब में ही गिराया जा रहा है. केस स्टडी 5 बरियारपुर प्रखंड के करहरिया दक्षिणी पंचायत में सरकारी तालाब है.
जो आज अंतिम सांसे गिन रहा है. तालाब की जमीन का चारों ओर से अतिक्रमण करने की होड़ मची हुई है. गांव घर का कूड़ा कचरा भी तालाब के किनारे ही फेंका जाता है. लोग बड़ी चालाकी से कूड़ा कचरा फेंक कर तालाब की जमीन को पहले भरते हैं. इसके बाद उस पर अधारभूत संरचना का निर्माण कर उस पर कब्जा जमा लेते हैं. तालाब की जमीन पर कई लोगों ने मकान बना लिया है.
तालाब का अतिक्रमण कर चारों ओर बना लिया घर
केस स्टडी 1
जिला मुख्यालय के पूरबसराय में 5 एकड़ से अधिक भू-भाग में है बंसती तालाब. जिसका लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है. तालाब का अतिक्रमण कर चारों ओर घर बना लिया गया है. जबकि बीच के हिस्से को भी व्यक्तिगत उपयोग किया जा रहा. इसे बचाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कभी भी कोई प्रयास नहीं किया गया.
कुछ वर्ष पूर्व इस तालाब में सरकारी स्तर पर मार्केटिंग कॉमप्लेक्स बनाने का शिलान्यास किया गया था. लेकिन तालाब का अतिक्रमण कर कोई योजना नहीं संचालित किया जाना है. इसलिए यह योजना अधर में लटक गया है. लेकिन तालाब का अतिक्रमण जारी है.

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