चिमनी से निकलने वाले काले धुएं में होता है सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड
मुंगेर : ईंट-भट्ठा के चिमनियों से विषैले गैसों का उत्सर्जन होता है. चिमनियों में एकत्रित हो जाने वाले सूक्ष्म कण, चिमनियों में प्रयुक्त ईंधन के अवशेष एवं उद्योगों में काम में आए हुए जल का बहिर्स्राव गंगा को प्रदूषित कर रहा है. सीओटू हवा में ज्यादा पाये जाने की सबसे बड़ी वजह शहर के चारों […]
मुंगेर : ईंट-भट्ठा के चिमनियों से विषैले गैसों का उत्सर्जन होता है. चिमनियों में एकत्रित हो जाने वाले सूक्ष्म कण, चिमनियों में प्रयुक्त ईंधन के अवशेष एवं उद्योगों में काम में आए हुए जल का बहिर्स्राव गंगा को प्रदूषित कर रहा है. सीओटू हवा में ज्यादा पाये जाने की सबसे बड़ी वजह शहर के चारों तरफ बेतरतीब ढंग से चलने वाले ईंट-भट्ठे हैं. इनकी चिमनी से निकलने वाले काले धुएं में सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड पाया जाता है. जो डायरेक्ट कोयला जलने से बनता है.
इससे ईंट-भट्ठा वाले क्षेत्र की आबादी को भारी नुकसान है. मुंगेर में देखा जाय तो अधिकांश ईंट-भट्ठा गंगा किनारे अवस्थित है. जिसके आस-पास आबादी बसी हुई है. जो ईंट-भट्ठा से निकलने वाले विषैले धुएं से प्रभावित हो रही है, क्योंकि गलत ढंग से ईंट माफिया पैसा और पैरवी के बल पर पर्यावरण-प्रदूषण विभाग से एनओसी ले लेते हैं.
उनके पास ईंट-भट्ठा के चिमनियों से निकलने वाले प्रदूषण से विमुक्ति का कोई उपाय नहीं रहता है. सीधे गंगा में गंदगी को बहा दिया जाता है. जबकि गंगा किनारे मिट्टी की खुदाई में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जाती है. कहा जाय तो मुंगेर में मानक को ताख पर रख कर आज भी ईंट-भट्ठा का संचालन हो रहा है.