पांच फीसदी लोगों को भी लाभ नहीं

मुंगेर : केंद्र प्रायोजित जनोपयोगी प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना का आरंभ हुए अब एक साल पूरा हो गया है. किंतु मुंगेर में इस योजना की रफ्तार कछुए की गति से चल रही है. जिसके कारण जिले के लाखों लोग अबतक इस लाभकारी योजना से महरूम हैं. लोग अपने इलाज पर हजारों रुपये खर्च […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2019 7:43 AM

मुंगेर : केंद्र प्रायोजित जनोपयोगी प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना का आरंभ हुए अब एक साल पूरा हो गया है. किंतु मुंगेर में इस योजना की रफ्तार कछुए की गति से चल रही है. जिसके कारण जिले के लाखों लोग अबतक इस लाभकारी योजना से महरूम हैं. लोग अपने इलाज पर हजारों रुपये खर्च करने को विवश हैं.

आयुष्मान भारत योजना देश की पहली ऐसी योजना है, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लोग गंभीर से गंभीर बीमारी में भी पांच लाख रुपये तक का इलाज करवा सकते हैं. किंतु विभागीय उदासीनता तथा जागरूकता के अभाव में लोग आज भी इस योजना से दूर हैं. योजना के तहत मुंगेर जिले के कुल 7,95,285 लोगों को चिह्नित किया गया है. किंतु मात्र 27,568 लोगों का अबतक गोल्ड कार्ड बना और सिर्फ 1248 लोगों का इलाज हो पाया है.
अबतक 1248 मरीजों को ही मिल पाया है लाभ: पिछले साल 23 सितंबर को पूरे देश में तामझाम के साथ आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का शुभारंभ किया गया था. शुभारंभ के मौके पर मुंगेर जिले में 24 लागों के बीच गोल्ड कार्ड का भी वितरण किया गया था.
किंतु योजना के शुभारंभ के एक साल बीत जाने के बाद भी अब तक सिर्फ 27,568 लोगों का ही गोल्ड कार्ड बन पाया है. यदि इस योजना के तहत मरीजों के इलाज की बात की जाये तो अबतक सिर्फ 1248 मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो पाया है. योजना की यही रफ्तार रही तो जिले भर के 1 लाख 58 हजार 987 परिवारों का गोल्डन कार्ड बनते-बनते 3 दशक बीत जायेगा.
जानकारी के अभाव में गरीबों को नहीं मिल रहा लाभ: आयुष्मान भारत योजना के तहत कुल 1393 प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जाना है. इस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों के वैसे सदस्य जिनका वर्ष 2011 के जनगनणा में नाम दर्ज है, वे गंभीर से गंभीर बीमारियों में पांच लाख रुपये तक का अपना इलाज करवा सकते हैं. किंतु इस योजना के बारें में अधिकांश लोगों को जानकारी ही नहीं है.
जिसके कारण आज भी लोग गंभीर बीमारी होने पर भी शहर के निजी अस्पतालों में हजारों रुपये खर्च कर अपना इलाज करवा रहे हैं. मालूम हो कि इस योजना के तहत इच्छुक निजी अस्पतालों का भी रजिस्ट्रेशन किया जाना है. किंतु अबतक जिले भर में एक भी निजी अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है. जिसके कारण पिछले एक साल में कुल 1248 मरीजों को अपना इलाज सरकारी अस्पतालों में ही कराना पड़ा. जबकि लोगों की यह अवधारणा है कि सरकारी अस्पताल से बेहतर इलाज उन्हें निजी अस्पतालों में ही मिल पाती है.
कहते हैं सिविल सर्जन: सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि पिछले एक महीने से आयुष्मान भारत योजना ने रफ्तार पकड़ी है. साथ ही गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया में भी तेजी लायी गयी है. उन्होंने बताया कि जल्द ही मुंगेर के कुछ निजी क्लिनिकों का भी पंजीकरण हो जायेगा. जिसके बाद लोग निजी क्लिनिकों में भी इस योजना का लाभ ले पायेंगे.
जिले में चयनित परिवारों का आंकड़ा
शहर/प्रखंड गांव/मोहल्ला परिवार
असरगंज 43 9169
बरियारपुर 28 14580
धरहरा 95 18587
जमालपुर 43 11686
हवेली खड़गपुर 88 24381
मुंगेर सदर 58 17860
संग्रामपुर 65 13176
तारापुर 55 11910
टेटियाबंबर 52 10583
मुंगेर (नगर) 45 17538
जमालपुर (नगर) 36 6893
खड़गपुर (नगर) 18 2624

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