वार्ड में लगी कुर्सी-टेबुल गायब, रखा गया डस्टबीन, नहीं बैठती हैं अब नर्स

मुंगेर : सिविल सर्जन के निर्देश पर पिछले जुलाई महीने में सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में नर्सिंग स्टेशन के तौर पर सभी वार्डों में नर्स के लिए टेबुल-कुर्सी लगाया गया था. जिसके बाद सभी वार्डों में मरीजों के बीच नर्सिंग स्टेशन में उपस्थित रह कर नर्स ने सेवा देना शुरु कर दिया. किंतु यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2019 8:12 AM

मुंगेर : सिविल सर्जन के निर्देश पर पिछले जुलाई महीने में सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में नर्सिंग स्टेशन के तौर पर सभी वार्डों में नर्स के लिए टेबुल-कुर्सी लगाया गया था. जिसके बाद सभी वार्डों में मरीजों के बीच नर्सिंग स्टेशन में उपस्थित रह कर नर्स ने सेवा देना शुरु कर दिया. किंतु यह व्यवस्था महज कुछ ही दिनों के बाद ध्वस्त हो गयी. अब एक भी वार्ड में न तो नर्सिंग स्टेशन है और न ही लगाये गये एक भी टेबुल व कुर्सी मौजूद है.

अस्पताल प्रशासन द्वारा सभी टेबुल कुसियों को स्टोर रूम में रखवा दिया गया है. जिसके कारण वार्डों में भर्ती मरीजों को अब फिर से पुराने तर्ज पर सलाइनिंग व इंजेक्शन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. अस्पताल प्रशासन की इस उदासीनता के कारण मरीजों को खासे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बावजूद अस्पताल प्रशासन जानबूझ कर मौन साधे हुए हैं या फिर यहां के अधिकारी वार्ड का निरीक्षण ही नहीं कर रहे हैं.
मरीजों को होती है परेशानी, ध्यान नहीं देती है नर्स: सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों की मानें तो वार्ड में नर्सिंग स्टेशन नहीं रहने के कारण उन्हें खासे परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हेरुदियारा निवासी मरीज सुमित्रा देवी का कहना है कि स्लाइन खत्म होने पर उन्हें अपने से बंद करना होता है.
यदि जरा भी देरी होती है तो स्लाइन सेट के पाइप में ब्लड आने लगता है. शिवकुंड निवासी जागो यादव ने बताया कि वार्ड में अटेंडेंट के रूप में उसके साथ सिर्फ उसकी पत्नी है, जो खुद वृद्ध है. जब भी वह परिचारिका कक्ष से नर्स को बुलाने जाती है तो उसे कह कह कर भेज दिया जाता है कि आप जाइये मैं आ रही हूं.
किंतु जब काफी देर तक नर्स नहीं पहुंचती है और उसे फिर बुलाने चली जाती है तो नर्स उसे डांट कर भगा देती है. रात में तो कोई नर्स आना ही नहीं चाहती है. जिससे हमेशा किसी प्रकार के अनहोनी की आशंका बनी रहती है. मालूम हो कि अलग-अलग वार्डों में कई ऐसे भी मरीज भर्ती रहते हैं, जिसके साथ कोई अटेंडेंट नहीं होता है. ऐसी स्थिति में वार्ड में नर्स का मौजूद नहीं रहना मरीजों के लिए प्राण घातक साबित हो सकता है.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि नर्स को हर हाल में मरीजों के बीच वार्ड में तैनात रहना है. यदि वह ऐसा नहीं करती हैं तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
पांच माह पूर्व स्थापित हुआ था नर्सिंग स्टेशन
सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार के निर्देश पर पांच माह पूर्व 6 जुलाई को सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों नर्सिंग स्टेशन स्थापित करवाया गया था. उन्होंने वार्ड निरीक्षण के दौरान साफ लहजे में कहा था कि अब कोई भी नर्स परिचारिका कक्ष में नहीं बैठेंगी. नर्स को मरीज के बेहतर देखभाल के लिए वार्ड में ही तैनात रहना होगा.
इसके लिए सभी वार्डों में अलग से नया टेबुल-कुर्सी का व्यवस्था भी किया गया था. जिसके तहत पुरुष सर्जिकल, पुरुष मेडिकल, आईसोलेशन, महिला सर्जिकल व महिला मेडिकल, शिशु वार्ड सहित अन्य वार्डों में नर्सिंग स्टेशन स्थापित कर उसे विधिवत चालू भी कर दिया गया था. किंतु यह सेवा महज कुछ दिनों तक ही चला. लगभग एक महीने के बाद विभिन्न वार्डों में संचालित नर्सिंग स्टेशन ध्वस्त हो गया और वहां से टेबुल कुर्सी को भी हटा दिया गया.
जिस पर शायद अब तक न तो अस्पताल उपाधीक्षक व अस्पताल प्रबंधक की नजर गयी है और न ही अधीक्षक की. अब सवाल उठता है कि जब इस सेवा का संचालन किया ही नहीं जाना था तो मरीजों को नर्सिंग स्टेशन का सब्जबाग दिखा कर टेबुल कुर्सी के खरीदारी पर हजारों रुपये खर्च करने की क्या जरूरत थी.

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