श्रम विभाग का कार्यालय था परिचारी के भरोसे, उसके बदले काम कर रहा था बेटा
मुंगेर : साहबों की नगरी से कार्यालय हटते ही पदाधिकारी व कर्मचारी किस प्रकार लापरवाह हो जाता है. इसका उदाहरण पेश कर रहा है संयुक्त श्रम भवन में स्थित श्रम विभाग का कार्यालय. जहां कहने को तो चार-चार अधिकारियों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस व्यवस्था है. लेकिन एक भी कार्यालय में पदाधिकारी मौजूद नहीं […]
मुंगेर : साहबों की नगरी से कार्यालय हटते ही पदाधिकारी व कर्मचारी किस प्रकार लापरवाह हो जाता है. इसका उदाहरण पेश कर रहा है संयुक्त श्रम भवन में स्थित श्रम विभाग का कार्यालय. जहां कहने को तो चार-चार अधिकारियों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस व्यवस्था है. लेकिन एक भी कार्यालय में पदाधिकारी मौजूद नहीं रहते हैं. पदाधिकारियों को तो छोड़ दे कर्मचारी तक कार्यालय छोड़ कर फरार थे.
हाल यह है कि श्रम विभाग का कार्यालय कार्यपालक सहायक एवं एक महिला परिचारी के भरोसे संचालित हो रहा है. ईमानदारी तो लकवाग्रस्त परिचारी ओमप्रकाश का है. जिसने अपनी अनुपस्थिति में अपने बेटे को वहां चपरासी बना रखा है. प्रभात खबर की टीम शनिवार को जब श्रम भवन का मुआयना किया तो स्थिति की बदहाली चहुंओर दिखी.
प्रभात खबर की टीम पूर्वाह्न 11:20 बजे सदर प्रखंड के नंदलालपुर स्थित संयुक्त श्रम भवन पहुंचा. जहां पूर्वाह्न 10 बजे कार्यालय खुलने का समय निर्धारित है. जब सीढ़ी पर प्रभात खबर की टीम चढ़ने लगा तो एक लड़का दौड़ कर ऊपर गया और दो कार्यालय का ताला खोल दिया. जबकि दो कार्यालय का ताला भी नहीं खुल पाया. सीढ़ी के बगल में ही श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी सदर का कार्यालय कक्ष था. ताला तो खुला था लेकिन कुर्सी खाली थी.
ठीक उसके बगल में सहायक श्रमायुक्त का कार्यालय है. जिसमें एक कंप्यूटर पर एक लड़का काम कर रहा था. लेकिन साहब की कुर्सी खाली थी. टीम सीधे श्रम अधीक्षक कार्यालय कक्ष के समीप पहुंचा. जहां एक महिला कार्यालय का ताला खोलने का प्रयास कर रही थी.
लेकिन ताला नहीं खुला. ठीक उसके बगल में ही उप श्रमायुक्त मुंगेर का कार्यालय कक्ष है. जिसमें ताला लटका हुआ था. जबकि कार्यालय तो खुला था. लेकिन उसमें कोई कर्मचारी नहीं था. लिपिक व अन्य कर्मचारियों की कुर्सी खाली थी. टीम वहां अपराह्न 12:40 बजे तक रुकी रही. लेकिन स्थिति यथावत बनी रही.
चपरासी के भरोसे चल रहा चार-चार कार्यालय : प्रभात खबर की टीम जब वहां पहुंचा तो मात्र तीन लोग उपस्थित थे. नीलम कुमारी जो उप श्रमायुक्त कार्यालय में चपरासी के पद पर तैनात है. वह तो वहां उपस्थित थी. लेकिन कार्यालय बंद था.
आखिर ताला खोले तो क्यों खोले. क्योंकि साहब तो आते ही नहीं हैं. सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में कंप्यूटर पर अमर कुमार काम कर रहा था. उसने बताया कि वह कार्यपालक सहायक है. साहब किसी काम से बेगूसराय गये हुए हैं. तीसरा था राहुल कुमार. जो पिता के बदले चपरासी का काम कर रहा था.
कोई छुट्टी पर तो कोई लखीसराय से करते हैं आना-जाना
बताया जाता है कि कार्यालय में कई कर्मचारी प्रतिनियुक्त हैं. लेकिन अपराह्न 12:27 तक कोई कर्मचारी उस कार्यालय में नहीं था. वहां लिपिक के पद पर अभिषेक कुमार तैनात है जो कार्यालय में मौजूद नहीं था. किसी के द्वारा फोन करने पर वे जरूर अपराह्न 12:38 में कार्यालय पहुंचे. उन्होंने कहा कि वे ट्रेजरी के काम से गया हुआ था. दूसरे लिपिक हैं अरूण कुमार जो अनुपस्थित थे. लेखापाल पद पर तैनात है विकास कुमार वह भी कार्यालय में नहीं था.
उसके बारे में बताया गया कि मुंगेर प्रमंडल मुंगेर के लेखापाल के चार्ज में भी है. जो प्रमंडल के छह जिलों में भ्रमण करते रहते हैं. एक परिचारी है राम विलास सिंह. जो लखीसराय से आना-जाना करता है. उनके बारे में कहा जाता है कि वे श्रम मंत्री के क्षेत्र के है. एक परिचारी है वलिंदर राम जो पिछले चार-पांच दिनों से छुट्टी पर है. वे छुट्टी पर है उसका आवेदन दिखाने वाला भी कोई नहीं था.