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शिव का शिष्य बनने के लिए किसी परंपरा व दीक्षा की आवश्यकता नहीं

फोटो संख्या : 4,5फोटो कैप्सन : प्रवचन करते शिव शिष्य एवं मौजूद श्रद्धालु प्रतिनिधि , मुंगेर रविवार को उपेंद्र ट्रेनिंग स्कूल के प्रांगण में शिव गुरु परिचर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें प्रवचनकर्ता के रूप में बक्सर के शिव शिष्य सतीश मुख्य रूप से मौजूद थे. यह आयोजन महेश्वर शिव के गुरु स्वरूप से एक-एक […]

फोटो संख्या : 4,5फोटो कैप्सन : प्रवचन करते शिव शिष्य एवं मौजूद श्रद्धालु प्रतिनिधि , मुंगेर रविवार को उपेंद्र ट्रेनिंग स्कूल के प्रांगण में शिव गुरु परिचर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें प्रवचनकर्ता के रूप में बक्सर के शिव शिष्य सतीश मुख्य रूप से मौजूद थे. यह आयोजन महेश्वर शिव के गुरु स्वरूप से एक-एक व्यक्ति का शिष्य के रूप में जुड़ाव हो सके इसी उद्देश्य से किया गया. यह कार्यक्रम शिक्षा विभाग के डीपीओ अनिल कुमार श्रीवास्तव के संयोजकत्व में हुई. सतीश ने कहा कि शिव जगत गुरु है अर्थात जगत का एक-एक व्यक्ति चाहे वह किसी धर्म, जाति, संप्रदाय का क्यों न हो सभी शिव को अपना गुरु बना सकता है. शिव शिष्य बनने के लिए किसी परंपरा, औपचारिकता और दीक्षा की आवश्यकता नहीं होती है. केवल मन में यह विचार करना है ” शिव मेरे गुरु हैं ” शिष्यता की स्वयं शुरुआत हो जाती है. इसी विचार का स्थायी होना हम सभी को शिव का शिष्य बनाता है. उन्होंने कहा कि शिव को अपना गुरु मानने की परंपरा 1982 के उत्तरार्ध से बिहार के मधेपुरा जिला से हुआ. जिसका शुभारंभ गुरु भ्राता हरिंद्रानंद स्वामी ने किया. हरिंद्रानंद उन दिनों मधेपुरा जिले के उपसमाहर्ता के रूप में पदस्थापित थे. वर्ष 1990 से शिव का शिष्य बनते और बनाने की चर्चा धीरे-धीरे कमरे से बाहर हुई जो आज देश-विदेश में व्यापक होता चला गया. मौके पर भोजपुर से आये शिवेश्वर दयाल वर्मा, रामेश्वर सिंह, हाजीपुर के रामेशर बहादुर सिंह, परमानंद कुमार, सच्चितानंद, गायत्री देवी, मंजू कुमारी मौजूद थी.

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