आवागमन चक्र सर्वाधिक दुखी : स्वामी अच्युतानंद

फोटो संख्या : 29,30 फोटो कैप्सन : प्रवचन देते स्वामी जी व उपस्थित सत्संगी प्रतिनिधि, जमालपुर संतमत ध्यान साधना शिविर के तीसरे दिन गुरुवार को गुरु निवास डीडी तुलसी भवन में मुख्य प्रवचनकर्ता ने ध्यान साधना के गुढ़ रहस्य को बताया. मौके पर संत मत के वरिष्ठ महात्मा स्वामी अच्युतानंद जी महाराज ने कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2014 10:03 PM

फोटो संख्या : 29,30 फोटो कैप्सन : प्रवचन देते स्वामी जी व उपस्थित सत्संगी प्रतिनिधि, जमालपुर संतमत ध्यान साधना शिविर के तीसरे दिन गुरुवार को गुरु निवास डीडी तुलसी भवन में मुख्य प्रवचनकर्ता ने ध्यान साधना के गुढ़ रहस्य को बताया. मौके पर संत मत के वरिष्ठ महात्मा स्वामी अच्युतानंद जी महाराज ने कहा कि मानव शरीर के भीतर पांच शरीर है. जिसमें स्थूल, सूक्ष्म, कारण, महाकारण और केवल्य शामिल है. उन्होंने कहा कि इन पांच शरीर को पार करने के बाद ही साधक को परमात्मा का दर्शन हो सकता है. ईश्वर सबके अंदर है और ईश्वर तक जाने का रास्ता एक है. वह रास्ता भी सबके अंदर है. गुरु महाराज के बताये मार्ग पर चल कर ही साधक ही अपने इस्ट तक पहुंच सकते है. साधना के क्रम में दृष्टि योग करने से साधक को अंधकार में भी प्रकाश दिखायी देता है. साधना से जिस साधक को बिंदु ध्यान ठीक हो जाता है. उसे ही दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है. मानस जप में साधक गुरुमंत्र का सहारा एवं मानस ध्यान में गुरु रुप का सहारा लेता है. जबकि दृष्टि साधन में किसी सहारे की जरूरत नहीं होती है. आवागमन चक्र में पड़े रहना सबसे बड़ा दुख है. मनुष्य शरीर के जीव न काल में सबसे श्रेष्ठ कर्म यहीं है कि हम अपना प्रेम परमेश्वर से कर ले. मौके पर संयोजक विवेक तुलसी, स्वामी नरेंद्र बाबा, गौतम ब्रह्मचारी, स्वामी भोमानंद बाबा, संतोष बाबा, राजन चौरसिया मौजूद थे.

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