परिंदा ख्वाब का लौटा नहीं ऊंची उड़ानों से..

मुंगेर: समकालीन साहित्य मंच की ओर से आयोजित अशोक आलोक की गजल पुस्तक ‘‘ जमीं से आसमां तक ’’ के लोकार्पण के अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें मधेपुरा, सूर्यगढ़ा, सुलतानगंज, बरियारपुर, खड़गपुर, जमालपुर, पटना एवं स्थानीय कवियों ने भाग लिया. सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार ध्रुव गुप्त ने की. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2014 10:17 AM

मुंगेर: समकालीन साहित्य मंच की ओर से आयोजित अशोक आलोक की गजल पुस्तक ‘‘ जमीं से आसमां तक ’’ के लोकार्पण के अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें मधेपुरा, सूर्यगढ़ा, सुलतानगंज, बरियारपुर, खड़गपुर, जमालपुर, पटना एवं स्थानीय कवियों ने भाग लिया. सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार ध्रुव गुप्त ने की. मुख्य अतिथि अनिमेष कुमार सिन्हा तथा विशिष्ट अतिथि राजीव कुमार सिंह, परिम्लेंदु तथा सूचना एवं जनसंपर्क मुंगेर प्रमंडल के उपनिदेशक कमलाकांत उपाध्याय थे. संचालन कुमार विजय गुप्त ने किया.

सर्वप्रथम अशोक आलोक ने अपनी पुस्तक ये पांच गजलों का पाठ किया. पहली गजल का मतला था ‘‘ जमीन पर प्यास फैली है सुलगते आसमानों से, परिंदा ख्वाब का लौटा नहीं ऊंची उड़ानों से ’’. तत्पश्चात हिंदी गजल के प्रमुख गजलकार एवं आलोचक अनिरुद्ध सिन्हा ने तरन्नुम में अपने दो-तीन शेरों के साथ एक गजल का पाठ किया. उनकी गजल का एक मतला था. ‘‘ जख्म जब आपका हरा होगा, हाल अपना भी आपसा होगा ’’.

अध्यक्षता कर रहे ध्रुव गुप्त ने अपनी गजलों का पाठ किया. उनकी पहली गजल का मतला था ‘‘ मेरी आंखों में ये खला क्या है, तू अगर साथ हौ तो जुदा क्या है ’’. मुख्य अतिथि अनिमेष कुमार सिन्हा ने कविताओं के साथ दो-तीन गजलों का पाठ किया. उनकी गजल का यह मतला लोगों को काफी पसंद आया.‘‘ सिक्का भी यह कितना अजीब है, अनमोल लोगों को ही यह नसीब है ’’. विशिष्ट अतिथि पटना से पधारे राजीव कुमार सिंह परिम्लेंदु ने अपनी कविता का पाठ करते हुए कहा ‘‘ अपनी आदतों में, फूलों की जगह पत्थर भरो, मासूमियत के हर तकाजे को, ठोकर मार दो. उर्दू साहित्य के शायर फैयाज रश्क ने भी अपनी तीन गजलों का पाठ किया. ‘‘ शायरी में हैं गजल के अशोक आलोक ’’. तत्पश्चात युवा गजलकार विकास ने कहा ‘‘ अभी मौसम सुहाना है, मुहब्बत का नजारा है, हमारा दिल तुम्हारा है, तुम्हारा दिल हमारा है ’’. युवा कवियत्री यशस्वी ने अपनी गजल के माध्यम से कहा ‘‘ हर कदम पर रहे, हर डगर में रहे, बेखुदी आदमी के सफर में रहे ’’. इन सबके अतिरिक्त सिदेश्वर कश्यप, अंजनी कुमार सुमन, मूर्तजा सबा, एहतेशाम आलम, दीपक मौर्य, एसके प्रोग्रामर, प्रदीप पाल, राज किशोर केसरी, प्रभात मिलिंद कुमार, विजय गुप्त, राजेंद्र राज ने भी अपनी-अपनी गजलों और कविताओं का पाठ किया. धन्यवाद ज्ञापन शमशाद आलम ने किया.

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