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गव्य विकास योजना पर बैंक लगा रहा ग्रहण

मुंगेर: पशु व मत्स्य संसाधन विभाग का एक अंग है गव्य विकास. जिसके तहत जिले में गव्य विकास कार्यालय की स्थापना की गयी. कृषकों के आय सृजन का सुनहरा अवसर प्रदान करने के लिए समग्र गव्य विकास योजना संचालित की जा रही है. ताकि किसान गो-पालन को माध्यम बना कर अपना आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करें […]

मुंगेर: पशु व मत्स्य संसाधन विभाग का एक अंग है गव्य विकास. जिसके तहत जिले में गव्य विकास कार्यालय की स्थापना की गयी. कृषकों के आय सृजन का सुनहरा अवसर प्रदान करने के लिए समग्र गव्य विकास योजना संचालित की जा रही है. ताकि किसान गो-पालन को माध्यम बना कर अपना आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करें और मुंगेर में श्वेत क्रांति लाया जा सके. लेकिन इस योजना को बैंक पूरा नहीं होने दे रहा है.

समग्र गव्य विकास योजना के तहत किसानों को अनुदानित दर पर गो-पालन के लिए अनुदान दिया जाता है. इस योजना के तहत 2, 5, 10 एवं 20 गाय पर अनुदान दिया जाता है. जिसमें 10 प्रतिशत राशि किसान को देना है. जबकि 50 प्रतिशत राशि विभाग द्वारा अनुदान के तौर पर किसान को दिया जाता है. शेष राशि बैंक ऋण के तौर पर किसान को देती है.

तीन फेज में मिलती है राशि
गव्य विकास विभाग द्वारा कृषक गो-पालन ऋण के लिए आवेदन करते है. विभाग द्वारा किसानों का चयन किया जाता है और आवेदन को स्वीकृत कर संबंधित किसान के क्षेत्र में कार्य कर रहे बैंक को भेज दिया जाता है. जहां किसान का पहले से ही योजना के अनुसार 10 प्रतिशत राशि जमा रहता है. उसके बाद बैंक द्वारा तीन फेज में राशि दी जाती है. पहली राशि पशुशाला निर्माण के लिए, दूसरी राशि योजना के अनुसार गाय खरीदने एवं शेष बची राशि तीसरी किस्त में दे दिया जाता है.
समिति की देख-रेख में खरीदनी है गाय
विभाग द्वारा गठित क्रय समिति की देख -रेख में किसान गाय की खरीदारी करेंगे. जिसमें जिला गव्य विकास पदाधिकारी, चिकित्सक, बैंकर्स एवं पशु बीमा प्रतिनिधि शामिल रहते है. इन चार सदस्यीय टीम की देख-रेख में मेला अथवा हटिया में उन्नत नस्ल की गाय खरीदना है.
अनुदान के 1.62 करोड़ पड़ा है जिले में
जिला गव्य विकास पदाधिकारी ने बताया कि वर्ष 2013-14 में जिला को अनुदान की राशि मिली थी. जिसमें 80 लाख रुपये मुंगेर को मिला था. लेकिन बैंकों द्वारा ऋण नहीं दिया गया. जिसके कारण अनुदान की अधिकांश राशि बची रह गयी. सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में उस शेष राशि को जोड़ कर जिला को पहले ही 1 करोड़ 62 लाख 57 हजार अनुदान की राशि भेज दिया है. लेकिन बैंक का असहयोगात्मक रवैया से लगता है कि इस वर्ष भी अनुदान राशि बची रह जायेगी.
डीएम की अध्यक्षता में होगी बैठक
जिला गव्य विकास पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि बैंक पुरी तरह असहयोग कर रही है. पूर्व में एक बैंकर्स को नॉडल भी बनाया गया. जिसमें पीएनबी हवेली खड़गपुर, बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक मुंगेर, एसबीआइ आरबीओ एवं बैंक ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि को शामिल किया गया. बावजूद लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया और नॉडल को भंग कर दिया गया. शीघ्र ही जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैंकर्स की बैठक बुलायी जायेगी और उन्हें किसानों को ऋण देने के लिए लक्ष्य दिया जायेगा.
श्वेता क्रांति पर लगा ब्रेक
बताया जाता है कि जिले में प्रतिदिन 60 से 70 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है. जिसमें 35 हजार लीटर दूध लोकल खपत होता है. अगर बैंक गो-पालन के लिए किसानों को विभाग से स्वीकृत आवेदन पर ऋण उपलब्ध कराये तो मुंगेर दुग्ध उत्पादन में नंबर वन हो सकता है. लेकिन बैंक की पेंच में मुंगेर का श्वेत क्रांति फंस कर रह गया है.
गो-पालन के प्रति लोगों का बढ़ा लगाव
सदर प्रखंड के किसान सुभाष प्रसाद सिंह, मंटू साह, बमबम यादव, बरियारपुर के रामदेव यादव ने बताया कि विभाग और बैंक अगर ध्यान दे तो गो-पालन मुंगेर का प्रमुख व्यवसाय हो जायेगा और दूध के मामले में मुंगेर अव्वल हो जायेगा. आइटीसी द्वारा सदर प्रखंड में दूध फैक्टरी खोला गया है. जिससे यहां के लोगों में गो-पालन के प्रति लगाव बढ़ा है. लेकिन बैंक और विभाग की उदासीनता के कारण लोग सरकार के योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

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