मुंगेर में भी जदयू हुआ दो फाड़

मुंगेर: जनता दलयू में आंतरिक कलह तो पहले से कायम था. लेकिन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के सवाल पर जिला का संगठन अब पूरी तरीके से दो खेमे में बंट गया है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थन में पार्टी के जिला महासचिव सुबोध वर्मा के नेतृत्व में एक बड़ा वर्ग गोलबंद हो गया है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2015 11:48 AM
मुंगेर: जनता दलयू में आंतरिक कलह तो पहले से कायम था. लेकिन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के सवाल पर जिला का संगठन अब पूरी तरीके से दो खेमे में बंट गया है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थन में पार्टी के जिला महासचिव सुबोध वर्मा के नेतृत्व में एक बड़ा वर्ग गोलबंद हो गया है और मंगलवार को नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए मांझी के समर्थन में उतर गये.
एक ओर जहां जदयू के जिलाध्यक्ष मो जियाउर रहमान के नेतृत्व में नीतीश कुमार के पक्ष में गोलबंदी है तो दूसरी ओर सुबोध वर्मा ने मांझी के पक्ष में गोलबंदी प्रारंभ कर दी है. उनका मानना है कि जदयू के कार्यकर्ता एवं कई पदाधिकारी नीतीश कुमार के निर्णय से काफी आहत हैं.

लेकिन खुलकर कोई सामने नहीं आ रहा. अब जबकि उसने दूसरे गुट का मोरचा थाम लिया है तो कार्यकर्ता भी खुल कर उनके साथ हो रहे हैं. यही कारण है कि जैन धर्मशाला में सुबोध वर्मा के एलान के समय बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. इसमें कई अधिवक्ता सहित शहर के प्रबुद्ध लोग भी शामिल थे. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सुबोध वर्मा ने जिस प्रकार पार्टी प्रत्याशी ललन सिंह के पक्ष में काम किया था उससे जमीनी स्तर पर वे कार्यकर्ता व आम लोगों से जुड़े हैं.

मुंगेर के राजनीति परिदृश्य पर गौर करें तो मुंगेर, जमालपुर एवं तारापुर विधानसभा सीट पर पार्टी के विधायक हैं. बावजूद इसके जिस ढंग से मांझी समर्थन में एक उभार आया है. वह आने वाले समय में जदयू की सेहत के लिए तो ठीक नहीं माना जा सकता. जदयू के राज्य में सत्ता में रहे दस वर्ष हो गये, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील कहे जाने वाले मुंगेर में पार्टी का एक कार्यालय तक नहीं है. जिसके कारण दूसरे खेमे का आरोप है कि संसाधन के अभाव में वे पॉकेट अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका अदा करते हैं. अधिकांश कार्यकर्ताओं में पार्टी का भाजपा से गठबंधन टूटने, महागठबंधन के तहत राजद से समझौता करने और फिर जीतन राम मांझी को अपदस्थ करने के साजिश को लेकर काफी नाराजगी है. इसी नाराजगी को गोलबंदी का रूप दिया गया है. इस गोलबंदी में नगर निगम क्षेत्र के कई वार्ड पार्षद, छात्र नेता और कई प्रकोष्ठों के अध्यक्ष शामिल हैं.

Next Article

Exit mobile version