मॉडल स्टेशन: बंद है महिला प्रतीक्षालय, यात्री परेशान

जमालपुर: कहने को तो जमालपुर रेलवे स्टेशन को मॉडल स्टेशन का दर्जा मिल गया है. लेकिन आज भी यहां महिला यात्रियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. महिला प्रतीक्षालय रहने के बावजूद महिला यात्री दिन एवं रात्रि में खुले स्टेशन पर रहने को विवश है. क्योंकि स्टेशन पर बने महिला प्रतीक्षालय महिला यात्रियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2015 11:50 AM
जमालपुर: कहने को तो जमालपुर रेलवे स्टेशन को मॉडल स्टेशन का दर्जा मिल गया है. लेकिन आज भी यहां महिला यात्रियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. महिला प्रतीक्षालय रहने के बावजूद महिला यात्री दिन एवं रात्रि में खुले स्टेशन पर रहने को विवश है. क्योंकि स्टेशन पर बने महिला प्रतीक्षालय महिला यात्रियों के लिए बंद रहता है.
मॉडल स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या एक पर महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए महिला प्रतीक्षालय बनाया गया है जो कई महीनों से बंद पड़ा हुआ है. इस स्टेशन से प्रत्येक दिन महानगरों तक जाने के लिए कई महत्वपूर्ण ट्रेनों की आवाजाही होती है. ट्रेन में यात्र करने वाले महिला यात्रियों को अगर स्टेशन पर इंतजार करना पड़ता है तो वह प्लेटफॉर्म पर खड़े-खड़े करना पड़ता है. जो महिला यात्रियों को काफी नागवार हो रही है. महिला यात्री इस स्टेशन पर अपने-आप को पुरी तरह असुरक्षित महसूस करती है.
कहती है महिला यात्री
महिला यात्री सुषमा देवी, प्रमीला देवी, पूनम देवी, आशा देवी, सुधा देवी ने काह कि मॉडल स्टेशन की यह व्यवस्था काफी खराब है. स्टेशन पर प्रतीक्षालय रहने के बाद भी नहीं खुलता है. जो हमलोगों में असुरक्षा की भावना को महसूस करवाती है. रात्रि में अगर ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है तो खुले स्टेशन पर रहना पड़ता है. जो स्थानीय स्टेशन प्रबंधक की लापरवाही को दर्शाता है.
निरीक्षण में खुलती है प्रतीक्षालय
रेलवे सूत्रों का कहना है कि जब कोई रेलवे के अधिकारी का जमालपुर स्टेशन आना होता है. तब महिला प्रतीक्षालय को खोल दिया जाता है. लेकिन अन्य दिन यह महिला यात्रियों के लिए बंद रहता है.
कहते हैं स्टेशन प्रबंधक
जमालपुर रेलवे स्टेशन प्रबंधक गिरिश्वर प्रसाद ने कहा कि जरूरत पड़ने पर प्रतीक्षालय को खोला जाता है. इसकी चावी ऑफिस में ही रहता है. जिसको बैठना होता है वो महिला यात्री चावी लेकर जाती है. स्टेशन प्रबंधक ने जो बयान दिया है वह अपने-आप में ही हास्पद है. क्या हर महिला यात्रियों को यह पता है कि चाभी आफिस में रहता है. जो बैठने के लिए चाभी ले जाकर प्रतीक्षालय खोले और जाने वक्त बंद कर ऑफिस में जमा कराये. उनका बयान रेलवे की व्यवस्था को भी तार-तार करता है.

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