भवन नहीं बनने के लिए शिक्षा विभाग दोषी

मुंगेर: जिले के विभिन्न प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में राशि निकासी के बाद भी विद्यालय भवन नहीं बनने के मामले में न सिर्फ संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक जिम्मेवार हैं, बल्कि इसके लिए शिक्षा विभाग की व्यवस्था व अधिकारी भी सीधे तौर पर जवाबदेह हैं. यह कहना है अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षक महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2015 9:17 AM
मुंगेर: जिले के विभिन्न प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में राशि निकासी के बाद भी विद्यालय भवन नहीं बनने के मामले में न सिर्फ संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक जिम्मेवार हैं, बल्कि इसके लिए शिक्षा विभाग की व्यवस्था व अधिकारी भी सीधे तौर पर जवाबदेह हैं. यह कहना है अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षक महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव नवल किशोर प्रसाद सिंह का. उन्होंने कहा है कि शिक्षा विभाग में भवन निर्माण के नाम पर एक बड़ा घोटाला हो रहा है.

इसकी जांच निगरानी विभाग से करायी जानी चाहिए. यदि शिक्षक दोषी हैं तो उस पर निश्चित रूप से एफआइआर दर्ज हो. लेकिन इस पूरे प्रकरण की भी जांच जरूरी है. उन्होंने कहा कि आठ वर्ष पूर्व विद्यालय के भवन निर्माण के लिए राशि दी गयी. आजतक भवन निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं हो सका. क्या इसके लिए तत्कालीन शिक्षा विभाग के अधिकारी दोषी नहीं हैं.

उन्होंने कहा है कि यह सर्वविदित है कि शिक्षा परियोजना द्वारा विद्यालय भवन निर्माण के लिए जो राशि दी जाती है उस राशि में पहले ही 20 प्रतिशत कमीशन शिक्षाधिकारी द्वारा लिया जाता है. भवन प्रारंभ करने पर संबंधित अभियंता विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एवं सचिव भी अपने हिसाब से कमीशन लेते हैं. इस व्यवस्था में भवन नहीं बनने के लिए सिर्फ शिक्षक को दोषी करार दिया जाना उचित नहीं है. उन्होंने प्रमंडलीय आयुक्त से अनुरोध किया है कि पूरे मामले की गहन जांच की जाय और आरोपित विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों, शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं शिक्षक संघ के पदाधिकारियों की एक संयुक्त बैठक इस मुद्दे पर बुलायी जाय.

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