प्रतिनिधि, मुंगेर. बाढ़ की त्रासदी से बचने के लिए दियारा क्षेत्र की बड़ी आबादी घर-सामान छोड़ कर पलायन कर रहे है. उन्हें सुरक्षित बाहर निकलने के लिए प्रशासनिक स्तर पर नाव की व्यवस्था नहीं है. इस कारण बाढ़ पीड़ित 400 रुपये भैंस, 100 रुपये घोड़ा-घोड़ी और 30 रुपये बकरी तथा 30 रुपये प्रति व्यक्ति प्राइवेट नाव के नाविक को भुगतान कर बाढ़ के पानी से जान बचाकर बाहर आ रहे है, लेकिन उनको प्रशासनिक राहत नहीं मिल रही है. सदर प्रखंड की टीकारामपुर पंचायत के वार्ड 14 जयमंगल पासवान टोला व वार्ड संख्या -15 लक्ष्मीपूर भेलवा से शुक्रवार की शाम करीब 5 बजे सीताकुंड हाई स्कूल पहुंचे. 100 से अधिक महिला, पुरुष व बच्चे विद्यालय पहुंचे तो विद्यालय में ताला लटका था. प्रधानाचार्य को बोलकर बाढ़ पीड़ितों के लिए एक तरफ बने दो मंजिला स्कूल के कमरों को खोल दिया गया. जयमंगल पासवान टोला निवासी राजेंद्र पासवान ने बताया कि जब भी बाढ़ आता है तो हमलोग इसी स्कूल में आकर रहते हैं. लेकिन इस बार प्रशासनिक स्तर पर न तो हमलोगों को सुरक्षित लाने का इंतजाम किया गया और न ही राहत शिविर में चुटकी भर सूखा अथवा गीला खाना उपलब्ध कराया गया. उन्होंने बताया कि शुक्रवार की शाम बीडीओ व सीओ आये थे. पूछताछ कर गये. लेकिन शनिवार को अपराह्न 2 बजे तक कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया गया. हमलोग जैसे-तैसे बच्चे और मवेशियों के साथ समय काट रहे है.
प्रति भैंस 400 रुपये देना पड़ा तो पहुंचे इस पार
बाढ़ पीड़ित राजेंद्र पासवान ने बताया कि हमलोगों के लिए नाव की कोई व्यवस्था नहीं थी. जब घर पूरी तरह से डूब गया तो हमलोगों ने प्राइवेट नाव की व्यवस्था की. प्रति आदमी 30 रुपये भाड़ा देना पड़ा. जबकि प्रति भैंस 400 रुपये, प्रति घोड़ा-घोड़ी 100 रुपये, प्रति बकरी 30 रुपये भाड़ा देने के बाद हमलोग गंगा के इस पार पहुंचे. 100 से अधिक यहां आये है. जबकि 40 से 50 भैंस और 100 से अधिक बकरी को सुरक्षित लाया गया है, लेकिन यहां पशुचारा की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है