मनुष्य के हृदय में बसते हैं परमात्मा : हरिनंदन जी महाराज

फोटो संख्या : 14,15फोटो कैप्सन : प्रवचन करते हरिजनंदन जी महाराज एवं उपस्थित श्रद्धालु प्रतिनिधि, बरियारपुर संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो दु:खी न हो. मानव जीतने भी कार्य करते हैं दु:खों के निवारण के लिए ही करते हैं. दु:खों के निवारण के लिए परमात्मा की शक्ति ही उत्तम मार्ग है. इस संसार में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2015 10:04 PM

फोटो संख्या : 14,15फोटो कैप्सन : प्रवचन करते हरिजनंदन जी महाराज एवं उपस्थित श्रद्धालु प्रतिनिधि, बरियारपुर संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो दु:खी न हो. मानव जीतने भी कार्य करते हैं दु:खों के निवारण के लिए ही करते हैं. दु:खों के निवारण के लिए परमात्मा की शक्ति ही उत्तम मार्ग है. इस संसार में आने वाले सभी व्यक्ति दुखी है. भगवान श्रीराम ने भी इस संसार में आकर दुख उठाया. ये बातें रविवार को भागलपुर कुप्पा घाट से पधारे हरिनंदन जी महाराज ने चमनगढ़ में आयोजित प्रमंडलीय संतमत सत्संग का 5 वां वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि शरीर में पांच तत्व है. आंख, कान, नाक, जीभ व त्वचा. आंख से देखे व कान से सुने बिना ज्ञान नहीं होता है. सुगंध-दुर्गंध का ज्ञान नाक से होता है. जीव द्वारा रस का ज्ञान होता है. लेकिन इन पांचों के द्वारा परमात्मा का ज्ञान नहीं होता है. परमात्मा इंद्रियों व जिहवा द्वारा समझाया नहीं जा सकता. परमात्मा सर्वव्यापक है उसे समझाया नहीं जा सकता. मानव को अपना ज्ञान नहीं होगा तब तक परमात्मा का ज्ञान नहीं होगा. इस दौरान महर्षि मेंही दास के परम शिष्य प्रमोद बाबा ने कहा कि मूर्ति में भगवान है. लेकिन मूर्ति भगवान मूर्ति नहीं है. उसी तरह शरीर आपका होते हुए भी आपका नहीं है. दूसरे प्रवचन का शुभारंभ स्तुति विनती के साथ किया गया जो देर रात्रि संपन्न हुआ. मौके पर महाभंडारा का भी आयोजन किया गया. ओमप्रकाश पासवान, रामलखन पासवान, इंद्रजीत प्रसाद, नंदलाल पासवान, दिनेश पासवान, यात्री पासवान सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौके पर उपस्थित थे.

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