एनएच-80 फोरलेन निर्माण की ओर बढ़े कदम
भागलपुर/मुंगेर: मुंगेर से मिरजाचौकी तक एनएच-80 के समानांतर फोरलेन के लिए पहले कदम की शुरुआत हो गयी है. गुरुवार को गुजरात की साईं कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड की एक्सपर्ट टीम ने सबौर स्थित एनएच-80 की वाहनों के लोड की जांच अत्याधुनिक मशीन से की गयी. जांच 48 घंटे यानी, शुक्रवार सुबह तक चली. एजेंसी के […]
भागलपुर/मुंगेर: मुंगेर से मिरजाचौकी तक एनएच-80 के समानांतर फोरलेन के लिए पहले कदम की शुरुआत हो गयी है. गुरुवार को गुजरात की साईं कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड की एक्सपर्ट टीम ने सबौर स्थित एनएच-80 की वाहनों के लोड की जांच अत्याधुनिक मशीन से की गयी. जांच 48 घंटे यानी, शुक्रवार सुबह तक चली. एजेंसी के सिविल इंजीनियर राजेश केडिया ने बताया कि वाहनों के लोड की जांच का रिपोर्ट जल्द राज्य सरकार को सौंपी जायेगी. उन्होंने बताया कि एनएच-80 पर वाहनों के लोड के आधार पर ही फोरलेन का डिजाइन तैयार होगा.
यानी वाहनों के लोड के हिसाब से एनएच के स्टैंडर्ड फोर लेन तैयार किया जायेगा. उन्होंने बताया कि अगले डेढ़ माह में एनएच-80 के समानांतर फोरलेन के लिए एजेंसी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार कर लेगी. यह सभी कार्य राज्य सरकार से साईं कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को मिला है.
मुंगेर व मिर्जाचौकी के बीच एलाइमेंट सर्वे : एनएच-80 के समानांतर मुंगेर से मिर्जाचौकी के बीच फोरलेन के लिए एलाइमेंट सर्वे हो रहा है. एलाइमेंट सर्वे का काम अगले दो-तीन माह में पूरा कर लिया जायेगा, ताकि जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी की जा सके.
चौड़ी होगी शहरी क्षेत्र की एनएच, भेजा प्रस्ताव
सबौर से नाथनगर के बीच एनएच की सड़क चौड़ी होगी. राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल, भागलपुर ने चौड़ीकरण का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा है. प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिली और सड़क चौड़ी हुई, तो डिवाइडर सहित लाइटिंग की व्यवस्था संभव हो सकेगी. यहां बता दें कि सड़क चौड़ी नहीं होने से स्थायी समिति की बैठक में नगर निगम को डिवाइडर सहित लाइटिंग की व्यवस्था को रद्द करना पड़ा. वन वे संभव हो सकेगा और दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी. दूसरी ओर प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर विभाग को सड़क चौड़ीकरण के लिए कई अड़चनें आयेगी. सबसे पहले अतिक्रमण मुक्त करना बड़ी परेशानी है.
जमीन अधिग्रहण में खर्च होंगे हजार करोड़, मिली 200 करोड़ की मंजूरी
फोरलेन के लिए एलाइमेंट सर्वे का काम पूरा होने के बाद जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई की जायेगी. जमीन अधिग्रहण पर हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च होगी. पहले चरण में केंद्र सरकार ने जमीन अधिग्रहण के लिए 200 करोड़ की मंजूरी दी है. यह राशि जल्द ही राष्ट्रीय उच्च पथ को मिलेगी. यह राशि कार्य प्रमंडल के जरिये जिला प्रशासन तक पहुंचेगी, जहां से भू-स्वामियों के बीच आवंटित की जायेगी. जैसे-जैसे जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई होती जायेगी, वैसे-वैसे भू-स्वामियों को राशि देने के लिए फंड आवंटित होगी.