निगम बनने के बाद भी सुदृढ़ नहीं हुई व्यवस्था

मुंगेर: काफी जद्दोजहद के बाद वर्ष 2011 में मुंगेर नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा प्राप्त कर लिया. शहरवासियों को उम्मीद थी कि निगम बनने के बाद मुंगेर शहर जहां एक स्वच्छ व सुंदर नगर बनेगा. वहीं यहां के नागरिकों को बेहतर नागरिक सुविधाएं प्राप्त होगी. लेकिन सही मायने में जहां आज भी सड़कों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2015 9:14 AM
मुंगेर: काफी जद्दोजहद के बाद वर्ष 2011 में मुंगेर नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा प्राप्त कर लिया. शहरवासियों को उम्मीद थी कि निगम बनने के बाद मुंगेर शहर जहां एक स्वच्छ व सुंदर नगर बनेगा. वहीं यहां के नागरिकों को बेहतर नागरिक सुविधाएं प्राप्त होगी. लेकिन सही मायने में जहां आज भी सड़कों पर कूड़े के ढेर लगे हैं, नालियां बजबजा रही है और शाम होते ही शहर की सड़कें अंधेरे में डूब जाती है. अलबत्ता कई स्तर पर तो संसाधन में ह्रास ही हुआ है. नगर परिषद के समय जहां यहां सफाई कर्मियों की संख्या अधिक थी. वह घट कर अब मात्र 170 के करीब है.
फंड के अभाव में हटाये गये सफाइकर्मी
मुंगेर . निगम प्रशासन फंड के अभाव में प्रत्येक वार्ड से एनजीओ के दो-दो सफाई मजदूरों को काम से हटा दिया. 15 मई 2015 से 45 वार्डो के सफाई का कार्य दो एनजीओ में कार्यरत 90 मजदूरों द्वारा कराया जा रहा है. जिससे शहर की सफाई व्यवस्था नारकीय हो गयी है और जगह-जगह कूड़ों का अंबार लगा है.
350 से घटकर 170 हुए मजदूर
मुंगेर शहरी क्षेत्र की आबादी को देखते हुए वर्ष 2011 में नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा दे दिया गया. सुविधाएं भी दी गयी लेकिन कर्मचारियों की संख्या बढ़ने के बजाय घटती गयी. और स्थिति यह है कि नगर परिषद के समय 350 स्थायी सफाई मजदूर कार्यरत थे जो आज घट कर 170 के करीब है. प्रतिवर्ष स्थायी कामगार सेवानिवृत्त हो रहे हैं. लेकिन उसके जगह नयी बहाली नहीं हो रही. अलबत्ता निगम अब स्वयंसेवी संगठन के माध्यम से सफाई कार्य करवा रही है.
एनजीओ के हाथों सफाई का जिम्मा
नगर निगम शहर की सफाई का जिम्मा चार स्वयंसेवी संस्था के हाथों सौंप दिया. जिसमें तीन एनजीओ नोवेल्टी वेलफेयर सोसाइटी, महिला निकेतन एवं महिला विकास संस्थान सफाई का कार्य करती थी. वर्तमान में सफाई का जिम्मा दो स्वयंसेवी संस्था के हाथों में है.
13 वें वित्त आयोग में राशि का आवंटन बंद कर दिया गया है. होल्डिंग टैक्स कलेक्शन कर मजदूरों को राशि का भुगतान किया जाता है. इसलिए नये मजदूरों को रखना संभव नहीं हो रहा.
प्रभात कुमार सिन्हा, नगर आयुक्त

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