‘ शिक्षा में योग की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी
समापन के मौके पर ” योगस्य शरणम् ” पुस्तक का विमोचनफोटो संख्या : 20फोटो कैप्सन : दीप प्रज्वलित करते अतिथि प्रतिनिधि , मुंगेरनगर भवन के प्रशाल में रविवार को योगा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में ‘ शिक्षा में योग की भूमिका ‘ विषय पर गोष्ठी सह कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन सेवानिवृत्त […]
समापन के मौके पर ” योगस्य शरणम् ” पुस्तक का विमोचनफोटो संख्या : 20फोटो कैप्सन : दीप प्रज्वलित करते अतिथि प्रतिनिधि , मुंगेरनगर भवन के प्रशाल में रविवार को योगा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में ‘ शिक्षा में योग की भूमिका ‘ विषय पर गोष्ठी सह कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन सेवानिवृत्त कुलपति डॉ नीलांबुज वर्मा, बीएचयू के प्राध्यापक प्रो. डीए गंगाधर, डॉ बीएन सिंह, राजकुमार सरावगी ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया. उपस्थित अतिथियों ने स्वामी सत्यानंद के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया.डॉ नीलांबुज वर्मा ने कहा कि बुरे वृत्तियों को दूर करने के लिए योग ही एक मात्र साधन है. उन्होंने कहा कि उम्र ढल जाने के बाद लोग अपने बुरे वृत्तियों में सुधार नहीं कर पाते हैं. किंतु स्कूली शिक्षा के दौरान यदि बुरे वृत्तियों को दूर करने का प्रयास किया जाय तो उसमें काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है. जिसके लिए बच्चे को योग की शिक्षा से जोड़ना अति महत्वपूर्ण है. ताकि उसमें अच्छे संस्कार की उत्पत्ति हो सके. डीए गंगाधर ने कहा कि योग एक ऐसी पद्धति है जिससे मानव जीवन का सर्वांगीण विकास होता है. इसके लिए हमें सर्वप्रथम अनुशासन में रहना होगा. क्योंकि अनुशासन योग का एक अभिन्न अंग है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में चित्त निरोध की स्थिति का होना अति आवश्यक है. तभी उनके ध्यान को भटकने से रोका जा सकता है. मौके पर उपस्थित संस्था के अध्यक्ष प्रो. श्यामदेव सिन्हा, सचिव डॉ मुकेश कुमार सिन्हा, चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष राजेश जैन, ललन कुमार सिन्हा, मीनाक्षी सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपनी- अपनी बातों को रखा.