मुंगेर : यह जान कर आप सबों को आश्चर्य होगा कि प्रमंडलीय मुख्यालय के सदर अस्पताल में मरीजों के बुखार मापने के लिए एक थर्मामीटर तक उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण बिना टेंप्रेचर मापे ही मरीजों के बोलने मात्र से चिकित्सक उन्हें बुखार की दवा लिख देते हैं. यहां तक कि डॉक्टर रोगी के नब्ज को भी नहीं टटोलते. बुखार मापने में काम आता है थर्मामीटर थर्मामीटर की बाजार में कीमत भले ही 70-100 रुपये हो. देखने में यह यंत्र काफी छोटी है.
किंतु समय पर यह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. किसी मरीज को कितना बुखार है या नहीं है, इसकी पूरी जानकारी यह छोटी सी यंत्र कुछ ही क्षणों में दे देती है. जिसके बाद चिकित्सक मरीजों को आवश्यक दवाओं का सलाह देते हैं.
बुखार का नाम सुनते ही चिकित्सक लिख देते हैं दवाईसदर अस्पताल का महिला ओपीडी हो या शिशु ओपीडी. जेनरल आउट डोर सेवा हो या आपातकालीन सेवा कहीं पर भी बुखार मापने के लिए थर्मामीटर उपलब्ध नहीं है. मरीज यदि चिकित्सक को यह कह दे कि उन्हें बुखार है, तो चिकित्सक बिना मरीज के बुखार को मापे ही उनके पुरजे पर बुखार की दवा लिख देते हैं. फिजिशियन की रायडॉ वाइके दिवाकर ने बताया कि थर्मामीटर का आविष्कार शरीर के तापमान को मापने के लिए ही किया गया है.
थर्मामीटर के माप से प्रमाणित हो जाता है कि मरीज को कितना बुखार है या नहीं है. यदि 100 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तापमान रहने पर मरीज को दवा देना अनिवार्य हो जाता है.कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षकअस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि चिकित्सक नब्ज पकड़ कर ही बता देते हैं कि मरीज को बुखार है या नहीं. बुखार की जांच के लिए थर्मामीटर की कोई खास आवश्यकता नहीं है.