सेवा व समर्पण से मिलता है लक्ष्य

मुंगेर: विश्व योग सम्मेलन के संध्याकालीन सत्र में भागवत कथा प्रस्तुत करते हुए स्वामी गिरीशानंद महाराज ने कहा कि सद्गुरु के मार्ग दर्शन में सच्ची सेवा व सर्मपण से ही जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति होती है. विदेह राज निमी ने जब महर्षियों से भगवान के स्वरूप के संदर्भ में पूछा तो महर्षि ने बताया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 27, 2013 12:51 AM

मुंगेर: विश्व योग सम्मेलन के संध्याकालीन सत्र में भागवत कथा प्रस्तुत करते हुए स्वामी गिरीशानंद महाराज ने कहा कि सद्गुरु के मार्ग दर्शन में सच्ची सेवा व सर्मपण से ही जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति होती है. विदेह राज निमी ने जब महर्षियों से भगवान के स्वरूप के संदर्भ में पूछा तो महर्षि ने बताया कि सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता व संहारकर्ता तीनों ही ब्रrा के रुप है. स्वामी गिरीशानंद ने अपने सारगर्भित प्रवचन में कहा कि मनुष्य का मन भगवान का ही सूक्ष्म रुप है. जिस प्रकार एक ही विद्युत प्रवाह से एक हजार वॉट का बल्व प्रकाशित करता है. उसी प्रकार उसी विद्युत प्रवाह से जीरो वॉट का बल्व जलता है. उन्होंने कहा कि जिस मनुष्य में अहंकार का वास होता है व ईश्वर पर भरोसा नहीं रहता वह कभी सुखी नहीं रह सकता.

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