आवागमन के चक्र में पड़े रहना महादुख का कारण : स्वामी अच्युतानंद

आवागमन के चक्र में पड़े रहना महादुख का कारण : स्वामी अच्युतानंद फोटो संख्या : 13 फोटो कैप्सन : सत्संग में उपस्थित महिलाएं. प्रतिनिधि, जमालपुर इस्ट कॉलोनी स्थित डीडी तुलसी भवन गुरु निवास में चल रहे सात दिवसीय साधना शिविर सह सत्संग के पांचवें दिन रविवार को भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. स्वामी अच्युतानंद, स्वामी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2015 9:26 PM

आवागमन के चक्र में पड़े रहना महादुख का कारण : स्वामी अच्युतानंद फोटो संख्या : 13 फोटो कैप्सन : सत्संग में उपस्थित महिलाएं. प्रतिनिधि, जमालपुर इस्ट कॉलोनी स्थित डीडी तुलसी भवन गुरु निवास में चल रहे सात दिवसीय साधना शिविर सह सत्संग के पांचवें दिन रविवार को भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. स्वामी अच्युतानंद, स्वामी नरेंद्र बाबा, स्वामी दिनेश बाबा, अमोल दास बाबा, अरुण केसरी, गुरुदेव बाबा, सील निधान बाबा ने अपने प्रवचन में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को रखा. स्वामी अच्युतानंद ने कहा कि संपूर्ण जगत माया मय है. माया असत्य है. फिर भी यह दुखदायी है. साधक जब योगाभ्यास कर जागृत, स्वप्न और सुषुदिप्त के ऊपर उठ कर तुरिया वस्था में पहुंचते हैं तो उनको यह ज्ञान होता है कि माया असत्य है. माया सत्य नहीं है. बावजूद लोग मृग तृष्णा की तरह इसके भटकन में उलझ जाते हैं. इसलिए वे बारंबार आवागमन के चक्र में पड़ कर दुख उठाते हैं. काम, क्रोध माया के सेनापति हैं जो जीव को अपने इशारे पर नचाता है. माया से छुटकारा पाने के लिए ईश्वर भक्ति ही मात्र एक उपाय है. उन्होंने कहा कि ध्यान साधना का एक मात्र लक्ष्य अंधकार से प्रकाश की ओर जाना है. श्रद्धा और प्रेम के साथ जब साधक गुरु के बताये रास्ते पर साधना करता है तो उसे सब सुख प्राप्त हो जाता है. मंच संचालन सचिव शिव नारायण मंडल ने किया. इस मौके पर विवेक तुलसी, राजन कुमार चौरसिया, परमानंद मंडल, कैलाश तांती, ओमप्रकाश गुप्ता मुख्य रूप से मौजूद थे.

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