श्रद्धांजलि सभा में छंदराज के व्यक्तत्वि पर चर्चा
श्रद्धांजलि सभा में छंदराज के व्यक्तित्व पर चर्चा फोटो संख्या : 12फोटो कैप्सन : शोकसभा में उपस्थित साहित्यकार प्रतिनिधि, मुंगेर ————हिंदी गजल के प्रख्यात गजलकार छंदराज के आकस्मिक निधन पर सृजन साहित्य मंच एवं मैथिली परिषद की ओर से रविवार को श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी की अध्यक्षता रामनरेश पांडेय ने की. जबकि […]
श्रद्धांजलि सभा में छंदराज के व्यक्तित्व पर चर्चा फोटो संख्या : 12फोटो कैप्सन : शोकसभा में उपस्थित साहित्यकार प्रतिनिधि, मुंगेर ————हिंदी गजल के प्रख्यात गजलकार छंदराज के आकस्मिक निधन पर सृजन साहित्य मंच एवं मैथिली परिषद की ओर से रविवार को श्रद्धांजलि गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी की अध्यक्षता रामनरेश पांडेय ने की. जबकि संचालन संयोजिका डॉ मृदुला झा ने किया. मुख्य अतिथि सूचना एवं जनसंपर्क उपनिदेशक कमलाकांत उपाध्याय तथा विशिष्ट अतिथि यदुनंदन झा मौजूद थे. डॉ मृदुला झा ने कहा कि छंदराज साहित्य के ऐसे हस्ताक्षर थे जिसके आभा मंडल पूरा हिंदी गजल समाज जगमगाता रहेगा. वहीं विजय कुमार गुप्त ने कहा कि छंदराज जी साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक अच्छे अभिभावक व मार्गदर्शक थे. गजलकार अनिरुद्ध सिन्हा ने अपने संस्मरण सुनाते हुए अपनी एक गजल का पाठ किया. जिसका अर्थ था मंजिल के साथ लेके वो रास्ता चला गया. मुझको बिना बताये अकेला चला गया. विकास ने एक गजल पाठ कर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किया. यदुनंदन झा ने कहा कि छंदराज का व्यक्तित्व बहुआयामी था. मुख्य अतिथि कमलाकांत उपाध्याय ने उनके व्यक्तित्व व संस्मरणों की चर्चा करते हुए कहा कि मुंगेर की धरती साहित्य के क्षेत्र में काफी उर्वरा रही है. नचिकेता ने भी शोक संवेदना व्यक्त की है. इधर मैथिली परिषद की ओर से राजनाथ यादव की अध्यक्षता में एक शोकसभा आयोजित कर छंद राज के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की गयी. उनके निधन को साहित्य जगत के साथ-साथ मैथिली परिषद के लिए अपूरणीय क्षति बताया. इस मौके पर सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने अपने संस्मरण के माध्यम से छंदराज जी के व्यक्तित्व को प्रस्तुत किया. इस मौके पर शुभंकर झा, नीरज पाठक, संजय मिश्र ने अपनी श्रद्धांजलि दी. इधर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से एक शोक सभा आयोजित कर गजलकार छंदराज एवं कथाकार कालिया को श्रद्धांजलि दी गयी. मौके पर संघ के सचिव वकील राम, डॉ वीणा कुमारी, करुण कुमार सिंह, लक्ष्मी प्रसाद मुख्य रुप से मौजूद थे.