देशद्रोह का नारा संविधान विरोधी
मुंगेर : जेएनयू मामले को लेकर बुधवार को तोपखाना बाजार में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें बुद्धिजीवी, अधिवक्ता एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय ने की. उन्होंने कहा कि देशद्रोह का नारा संविधान विरोधी है. लोकतंत्र में राष्ट्र विरोधी या देश को खंडित करने जैसी बातों को […]
मुंगेर : जेएनयू मामले को लेकर बुधवार को तोपखाना बाजार में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें बुद्धिजीवी, अधिवक्ता एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय ने की.
उन्होंने कहा कि देशद्रोह का नारा संविधान विरोधी है. लोकतंत्र में राष्ट्र विरोधी या देश को खंडित करने जैसी बातों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में नहीं रखा गया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने परनाना पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रयास से संविधान में लाये इस प्रावधान के विपरीत देशद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं.
अधिवक्ता रजनीकांत प्रसाद ने कहा कि यदि राजनीति पक्षपात के आधार पर मीडिया का एक वर्ग देशद्रोह की आवाज बुलंद करने वालों को सही ठहरायेगा तो इससे आतंकवाद को समर्थन मिलेगा.
छात्रा निधि कुमारी ने देशद्रोही नारे लगाने वालों और उनका नेतृत्व करने वाले जेएनयू अध्यक्ष कन्हैया को देश के किसी विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने से वंचित करने की मांग की. छात्र विक्रम कुमार ने देश विरोधी नारा लगाने को गलत करार दिया. छात्रा मोनी कुमारी, रीत कुमारी ने कहा कि देश हित से बढ़ कर कुछ नहीं है. राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठ कर इस मुद्दे पर बहस कर उचित कदम उठाने की जरूरत है.