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संरक्षा आयुक्त को लेकर चाक-चौबंद थी व्यवस्था

जमालपुर : रेलवे संरक्षा आयुक्त प्रमोद कुमार आचार्या के जमालपुर-मुंगेर रेलखंड के निरीक्षण को लेकर बुधवार को जमालपुर रेलवे स्टेशन बदला-बदला सा था. सीआरएस को लेकर इंस्पेक्शन ट्रेन अहले सुबह ही जमालपुर पहुंची. इसको लेकर स्थानीय रेल अधिकारी अपने लिबास में तैनात थे. चूंकि सीआरएस के साथ ही मुख्यालय के दर्जनों वरीय रेल अधिकारी पहुंचे […]

जमालपुर : रेलवे संरक्षा आयुक्त प्रमोद कुमार आचार्या के जमालपुर-मुंगेर रेलखंड के निरीक्षण को लेकर बुधवार को जमालपुर रेलवे स्टेशन बदला-बदला सा था. सीआरएस को लेकर इंस्पेक्शन ट्रेन अहले सुबह ही जमालपुर पहुंची. इसको लेकर स्थानीय रेल अधिकारी अपने लिबास में तैनात थे. चूंकि सीआरएस के साथ ही मुख्यालय के दर्जनों वरीय रेल अधिकारी पहुंचे थे. इसलिए पूरी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त थी. मेन गेट अन्य दिनों की तरह खाली नहीं दिखा.

गेट पर कर्मचारी वरदी में तैनात थे. एक नंबर प्लेटफॉर्म पर सीआरएस के ट्रेन खड़ी रहने के कारण सभी ट्रेनों का परिचालन प्लेटफॉर्म संख्या दो तथा तीन से होकर किया गया. इस कारण ओवर ब्रिज क्रॉस करने में महिलाओं तथा सीनियर सिटीजनों को मशक्कत करनी पड़ी.

बदला पूर्व निर्धारित कार्यक्रम. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को सीआरएस के आदेश पर अंतिम क्षण में बदला गया. बताया गया कि पूर्व में सीआरएस के ट्रॉली के पहले इंस्पेक्शन स्पेशल ट्रेन को भेजा जाना था. परंतु अंतिम क्षण में उन्होंने पहले ट्रॉली से ही निरीक्षण का आदेश दिया. 11 ट्रॉलियों पर सवार होकर संरक्षा आयुक्त के साथ यहां पहुंचे रेल अधिकारियों का दल मुंगेर के लिए रवाना हुआ. इसमें पूर्व रेलवे कोलकाता तथा मालदह रेल मंडल के अधिकारी शामिल थे.
मुंगेर पहुंचने पर एससीआर के आदेश से बाद दोपहर इंस्पेक्शन स्पेशल ट्रेन को वहां भेजा गया. जिससे पूर्व रेलवे के सभी शाखा अधिकारी वापस जमालपुर लौटे.
सीआरएस ही करते हैं स्पीड का निर्धारण . स्पीड ट्रायल वह प्रक्रिया है, जो किसी भी नये रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों के परिचालन के पूर्व आवश्यक होता है. स्पीड ट्रायल का निरीक्षण रेलवे संरक्षा आयुक्त स्वयं करते हैं. सर्वविदित है कि रेलवे संरक्षा आयुक्त के आदेशानुसार ही नये रेलवे ट्रैक पर किसी प्रकार की सवारी गाड़ी का परिचालन आरंभ हो पाता है. यह सीआरएस के विवेक पर निर्भर करता है कि स्पीड ट्रायल के दौरान वह ट्रेन को एक सौ किलोमीटर प्रति घंटा अथवा एक सौ बीस किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ा कर ट्रायल लें. अमूमन सीआरएस सौ किलोमीटर की रफ्तार को ही प्राथमिकता देते हैं.
ऐसा माना जाता है कि सौ किलो मीटर प्रति घंटा के रफ्तार से नये रेलवे ट्रैक पर स्पीड ट्रायल सफल रहा तो अधिकतम 50 किलो मीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने की अनुमति संरक्षा आयुक्त द्वारा दी जाती है. यह अनुमति मात्र तीन महीने के लिए होती है. अगले तीन महीने के बाद रख रखाव कार्य के स्तर को देखते हुए स्पीड का पुनर्निर्धारण किया जाता है.
सफियाबाद हॉल्ट का अस्तित्व खत्म . जमालपुर एवं मुंगेर रेलखंड पर स्थित पूर्व का सफियाबाद हॉल्ट का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. मुंगेर रेल पुल को लेकर की गई नयी रेल व्यवस्था के अनुसार जमालपुर के बाद ट्रेन मुंगेर रेलवे स्टेशन पर ही रुकेगी. बीच में कोई हॉल्ट वर्तमान में नहीं है. इससे नाराज स्थानीय नागरिकों ने बुधवार को संरक्षा आयुक्त के सफियाबाद पहुंचने पर हाल्ट वापस करने की मांग भी की. जिसे आरपीएफ के अधिकारी द्वारा वहां से समझा बुझा कर हटा दिया.
स्थानीय लोगों ने बताया कि दशकों से यहां सफियाबाद हॉल्ट पर मुंगेर आने-जाने वाली ट्रेन रुका करती थी. परंतु रेल पुल बनने के क्रम में ही बात समाने आयी कि हॉल्ट को समाप्त कर दिया गया है. इस संबंध में एक रेल अधिकारी ने बताया कि जमालपुर से छह किलोमीटर दूर ही कोई हॉल्ट बन सकता है.
एनएच पर घंटों लगी रही जाम . जमालपुर-मुंगेर रेलखंड में रेलवे संरक्षा आयुक्त के निरीक्षण को लेकर सफियाबाद स्थित राष्ट्रीय उच्च पथ पर रेलवे गुमटी को बंद कर दिया गया था. जिसके कारण घंटों एनएच पर जाम लगी रही. सैकड़ों की संख्या में छोटी व बड़ी वाहन फंसे रहे. भागलपुर व लखीसराय की ओर जाने वाले छोटे वाहन तो मुंगेर शहर के डीजे कॉलेज के रास्ते निकल गये. लेकिन बड़ी वाहनों को घंटों इंतजार करना पड़ा.

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