खेतों को नहीं मिल रहा पानी

बदहाली . सतघरवा जलाशय निर्माण में हुआ करोड़ों खर्च धरहरा का सतघरवा जलाशय योजना हाथी का दांत साबित हो रहा है. इससे किसान मायूस हैं. वर्ष 2004 में इस योजना का जीर्णोद्धार किया गया, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिला. धरहरा : नक्सल प्रभावित धरहरा प्रखंड में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2016 1:32 AM

बदहाली . सतघरवा जलाशय निर्माण में हुआ करोड़ों खर्च

धरहरा का सतघरवा जलाशय योजना हाथी का दांत साबित हो रहा है. इससे किसान मायूस हैं. वर्ष 2004 में इस योजना का जीर्णोद्धार किया गया, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिला.
धरहरा : नक्सल प्रभावित धरहरा प्रखंड में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चार दशक पूर्व सतघरवा जलाशय योजना बनायी गयी थी. इस पर करोड़ों खर्च किये गये. किंतु यह योजना किसानों के लिए हाथी का दांत साबित हुआ. पुन: वर्ष 2004 में इस योजना का जीर्णोद्धार किया गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी एवं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इसका आधारशिला रखा था. योजना के जीर्णोद्धार पर नौ करोड़ की राशि खर्च की गयी. किंतु आज भी किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच रही. वर्षों बीत गये लेकिन खेतों में पानी नहीं पहुंचा.
किसान अशोक कोड़ा, दिनेश कोड़ा, विंदेश्वर साह, सुरेश राम ने बताया कि अगर यह योजना चालू हो जाता तो कोल क्षेत्र के लगभग 20 हजार भूमि में गेंहू, चना, धान, अड़हर व सब्जियों का उत्पादन हो सकता था. लेकिन योजना चालू नहीं हुआ. सतघरवा जलाशय योजना का मुख्य फाटक भी कई वर्षों से टूटा पड़ा हुआ है. जिसके कारण एक तरफ से पहाड़ से निकलने वाला झरना का पानी टूटे गेट के कारण ठहर नहीं पा रहा है. पानी निकल कर पहाड़ी चट्टानों में समा जाती है.
इस योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों ने एक बार फिर से इस योजना को चालू कराने की दिशा में कदम बढ़ाया है. किसानों ने जिलाधिकारी से मांग किया कि करोड़ों रुपये इस परियोजना पर खर्च हो गये. इसलिए पुन: इसके जीर्णोद्धार की दिशा में ठोस कार्रवाई करते हुए खेतों में पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाय. इधर तारापुर सिंचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता महेंद्र कुमार ने बताया कि उनका प्रयास है कि जल्द से जल्द किसानों को सतघरवा जलाशय योजना का लाभ मिल सके.
सफेद हाथी साबित हो रही परियोजना
खिले थे किसानों के चेहरे
सतघरवा जलाशय योजना का जब आधारशिला रखा गया था तो उस समय बंगलवा, करैली, सतघरवा, सराधी सहित दर्जनों गांव के किसानों के चेहरे पर खुशी थी. किसानों को लगा था कि इस क्षेत्र में अब खेती भगवान भरोसे नहीं होगी बल्कि सिंचाई के बेहतर साधन उपलब्ध होंगे. किंतु समय बीतता गया और यह योजना किसानों के लिए हाथी का दांत साबित हुआ है.

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