डी-एडिक्शन सेंटर में मौज कर रहे स्वास्थ्यकर्मी

मरीजों से धोखा : जेनरल वार्ड में भरती हो रहे नशा छोड़ने वाले लोग मुंगेर : नशा मुक्त बिहार अभियान के तहत राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले के अस्पताल में लाखों रुपये खर्च कर वातानुकूलित नशा मुक्ति केंद्र बनाया. लेकिन मुंगेर जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण इसका समुचित उपयोग नशे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2016 1:15 AM

मरीजों से धोखा : जेनरल वार्ड में भरती हो रहे नशा छोड़ने वाले लोग

मुंगेर : नशा मुक्त बिहार अभियान के तहत राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले के अस्पताल में लाखों रुपये खर्च कर वातानुकूलित नशा मुक्ति केंद्र बनाया. लेकिन मुंगेर जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण इसका समुचित उपयोग नशे के आदी रोगियों के लिए नहीं हो पा रहा. अलबत्ता यह कि शराब छोड़ने से परेशान होने वाले नशेड़ियों को डी एडिक्शन सेंटर के बजाय अस्पताल के पुरुष मेडिकल वार्ड में भरती किया जा रहा. वातानुकूलित सेंटर में चिकित्सव व स्वास्थ्यकर्मी आराम फरमा रहे और नशा छोड़ने वाले परेशान लोग पुरुष वार्ड में पंखा डोला रहे.
डेढ़ माह में मात्र 4 भरती
पिछले डेढ माह में यहां कुल चार मरीजों को इलाज के लिए भरती किया गया है़ जबकि आउट डोर में लगभग 7¯È1 लोगों का काउंसेलिंग किया गया. विदित हो कि यहां 13 अप्रैल से अबतक एक भी मरीज को भरती नहीं किया गया है़ नशा रोगियों को नशा मुक्ति केंद्र के बजाय जेनरल वार्ड में रखा जा रहा है.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने कहा कि नशामुक्ति केंद्र में वैसे लोगों को भरती किया जाना है, जिन्हें शराब की लत छुड़ानी है. वैसे मरीज जो शराब के सेवन के कारण अन्य बीमारियों से ग्रसित हो गये हैं, उसे पहले इलाज किया जायेगा तथा उसके बाद उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भरती किया जायेगा़ इसके बाद ही उनका सही इलाज होगा.
रोगी के नाम पर खर्च, मौज उड़ा रहे स्वास्थ्यकर्मी
नशामुक्ति केंद्र के निर्माण में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों की सुख- सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च किये गये़ किंतु उसका सुख मरीजों को नहीं मिल रहा है़ सही पूछें तो इसका लाभ यहां पर पदस्थापित स्वास्थ्यकर्मी उठा रहे हैं. यहां पर चिकित्सक व काउंसेलर के लिए अलग-अलग कमरे बने हुए हैं. बावजूद ये लोग नशामुक्ति केंद्र के वार्ड में ही अपना कुर्सी व टेबुल लगा कर एयरकंडीशन का मजा ले रहे.
केस स्टडी- 1
धरहरा प्रखंड के जगदीशपुर निवासी भोला मंडल का पुत्र अजय मंडल को मंगलवार को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भरती कराया गया़ जहां इलाज के दौरान पता चला कि वे पिछले 10 साल से शराब का सेवन करता था़ चिकित्सक ने एडिक्टेड मामला देखते हुए उन्हें नशामुक्ति केंद्र में भरती लिखा़ अजय की मां सुमित्रा देवी ने बताया कि जब वे अपने पुत्र को नशामुक्ति केंद्र लेकर गयी तो वहां पर मौजूद चिकित्सक व काउंसेलर ने यह कह कर पुरुष मेडिकल वार्ड भेज दिया कि अभी मरीज चलने फिरने से लाचार है, जब वह ठीक से चलने लगेगा तब उसे इस सेंटर में रखा जायेगा.
केस स्टडी- 2
पुरुष मेडिकल वार्ड में ही महुली पंचायत निवासी 70 वर्षीय सूरज मंडल को भी भरती किया गया है. जिसे चिकित्सक ने एडिक्टेड घोषित किया है़ किंतु दुर्भाग्य यह है कि उसे पिछले एक माह से नशामुक्ति केंद्र में भरती नहीं किया गया है़ सूरज मंडल ने बताया कि वह छोटी उम्र से ही शराब का सेवन करता रहा है. शराबबंदी के बाद जब शराब मिलना बंद हो गया, तो उनकी तबीयत बिगड़ने लगी़ इस कारण इलाज के लिए वह सदर अस्पताल पहुंचा. जहां चिकित्सक ने उन्हें नशामुक्ति केंद्र के बदले पुरुष मेडिकल वार्ड में भरती कर दिया है.

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