मुंगेर नहीं, प्रभार प्रमंडल कहिये जनाब
उदासीनता . मुंगेर प्रमंडल में नहीं हैं स्थायी कमिश्नर व डीआइजी छह जिलों का मुख्यालय मुंगेर प्रमंडल पूरी तरह प्रभार में चल रहा है. यहां न तो स्थायी कमिश्नर है और न ही डीआइजी. भागलपुर के कमिश्नर व डीआइजी दोनों मुंगेर के प्रभार में हैं. इतना ही नहीं दर्जन भर विभागों का तो प्रमंडलीय स्वरूप […]
उदासीनता . मुंगेर प्रमंडल में नहीं हैं स्थायी कमिश्नर व डीआइजी
छह जिलों का मुख्यालय मुंगेर प्रमंडल पूरी तरह प्रभार में चल रहा है. यहां न तो स्थायी कमिश्नर है और न ही डीआइजी. भागलपुर के कमिश्नर व डीआइजी दोनों मुंगेर के प्रभार में हैं. इतना ही नहीं दर्जन भर विभागों का तो प्रमंडलीय स्वरूप भी अबतक नहीं बन पाया है. जो अधिकारी रिटायर हो रहे या स्थानांतरित होकर चले गये उनकी जगह सरकार द्वारा नये पदाधिकारियों का पदस्थापन नहीं हो रहा. फलत: कई विभागों में उपनिदेशक के पद वर्षों से रिक्त है और कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा.
मुंगेर : 22 अप्रैल 1992 को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने भागलपुर से काट कर मुंगेर को नया प्रमंडल बनाया था और इस प्रमंडल के तहत पुराने मुंगेर जिले से कट कर बने जिले जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, खगड़िया एवं बेगूसराय को मुंगेर प्रमंडल में जोड़ा गया. यूं तो प्रमंडल बनने के बाद भी कुछ दिनों तक भागलपुर से ही मुंगेर प्रमंडल का कामकाज संचालित होते रहा. किंतु 1992 के दिसंबर में मुंगेर में एक सांप्रदायिक दंगे के दौरान पुलिस अवर निरीक्षक की हत्या के बाद सरकार ने पहले आयुक्त रूप में पीपी शर्मा व डीआइजी के रूप में राकेश जगुआर को भेजा.
ये दोनों अधिकारी प्रमंडल के पहले कमिश्नर व डीआइजी रहे. वर्षों तक आयुक्त का कार्यालय उनके आवास में ही चलता रहा और डीआइजी कार्यालय आइटीसी यूनियन भवन में खोला गया. वर्ष 2004 में किला परिसर में प्रमंडलीय कार्यालय भवन का निर्माण किया गया और 31 जनवरी 2004 को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी ने इस नवनिर्मित प्रमंडलीय कार्यालय भवन का उद्घाटन किया. बाद के वर्षों में यहां नियमित रूप से आयुक्त व पुलिस उपमहानिरीक्षक पदस्थापित होते रहे. राज्य के वर्तमान डीजीपी पीके ठाकुर भी मुंगेर प्रमंडल के डीआइजी रहे थे.
लेकिन जनवरी 2016 से मुंगेर प्रमंडल का कामकाज पूरी तरह प्रभार में चला गया. आयुक्त लियान कुंगा का तबादला गया के प्रमंडलीय आयुक्त के पद पर कर दिया गया. जबकि मुंगेर रेंज के डीआइजी शिवेश्वर शुक्ला सेवानिवृत हो गये. इन दोनों महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर सरकार ने अबतक स्थायी पदस्थापन नहीं किया है और दोनों ही पद भागलपुर के कमिश्नर व डीआइजी के प्रभार में ही चल रहा. भागलपुर के आयुक्त रोबर्ट एल चोंग्थू के जिम्मे ही मुंगेर प्रमंडल का प्रभार है. वहीं डीआइजी वरुण कुमार सिन्हा को भी सरकार ने मुंगेर प्रमंडल का अतिरिक्त प्रभार दे रखा है.
यूं तो दोनों अधिकारी अमूमन सप्ताह में दो दिन मुंगेर आते हैं. लेकिन प्रशासनिक कार्यों की अधिकतता के कारण सामान्य कार्य सही रूप से संपादित नहीं हो पा रहा. इतना ही नहीं विगत 31 मार्च को शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक उषा कुमारी सेवानिवृत्त हुई. लेकिन उसके स्थान पर अबतक दूसरे पदाधिकारी को पदस्थापित नहीं किया गया है. संयुक्त आयुक्त विभागीय जांच जयंत कुमार भी सेवानिवृत्त हो गये. यह पद भी रिक्त है.
सरकारी लारवाही का आलम यह है कि जो पदाधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे उनका प्रभार भी दूसरे पदाधिकारी को नहीं दिया जा रहा. जिससे प्रमंडल प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. इतना ही नहीं यहां उपनिदेशक मत्स्य, उपनिदेशक खनन, कृषि, उद्योग का पद भी रिक्त है. इस परिस्थिति में मुंगेर प्रमंडल मुख्यालय अपने कार्यों को सही रूप से संचालित करने में कारगर नहीं हो रहा.
भागलपुर के कमिश्नर व डीआइजी हैं मुंगेर के प्रभार में
अंकित है डीआइजी का गलत मोबाइल नंबर
प्रमंडलीय कार्यालय के मुख्य द्वार के बाहर मुंगेर रेंज के डीआइजी कार्यालय का बोर्ड लगा है. जिस पर डीआइजी का मोबाइल नंबर गलत अंकित है. बोर्ड पर मो. न.- 993122965 अंकित है. एक तो यह नंबर मात्र नौ अंक का है. दूसरा डीआइजी का सरकारी नंबर बीएसएनएल का 9431822965 है. वर्षों से मुख्य सड़क व मुख्य द्वार पर यह बोर्ड लगा है. जिस पर गलत मोबाइल नंबर अंकित है. इस नंबर को लेकर जब कोई व्यक्ति डीआइजी साहब से बात करना चाहता है तो वह लगता ही नहीं है. क्योंकि नंबर ही गलत है.