पुश्तैनी धंधा. सोना-चांदी की दुकान के आगे सफाई पर काट रहे जिंदगी
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मिट्टी देती है सोना-चांदी, चलता है घर
पुश्तैनी धंधा. सोना-चांदी की दुकान के आगे सफाई पर काट रहे जिंदगी हुनरमंद है महाराष्ट्र की सकीना संग्रामपुर : मिट्टी को साफ कर उससे सोना-चांदी निकालना वास्तव में बहुत बड़े हुनर की बात है. अगर किसी को कहा जाय कि सड़कों की मिट्टी से सोना निकाल कर कई परिवार परवरिस कर रहे हैं तो शायद […]
हुनरमंद है महाराष्ट्र की सकीना
संग्रामपुर : मिट्टी को साफ कर उससे सोना-चांदी निकालना वास्तव में बहुत बड़े हुनर की बात है. अगर किसी को कहा जाय कि सड़कों की मिट्टी से सोना निकाल कर कई परिवार परवरिस कर रहे हैं तो शायद उन्हें विश्वास न हो. पर ये एक जमीनी हकीकत है.
मंगलवार की सुबह संग्रामपुर बाजार में सोना-चांदी दुकान के बाहर कुछ महिलाएं और बच्चे बड़ी लगन से मिट्टी खुरच-खुरच कर ब्रश से जमा कर टोकड़ी में रख रही थी.
इसी मिट्टी में दिया उनका सर्वस्व जिस मिट्टी और कीचड़ को लोग बेकार समझ कर फेंक देते हैं. वह वास्तव में सोना-चांदी देती है. यह कहती है महाराष्ट्र राज्य की सकीना बाई. इस कार्य में उसे कोई हीन भावना नहीं होती. बस मिट्टी को जमा कर सफाई में जो मेहनत लगती है. बांकी इसी की आय से तो परिवार चलता है.
यह है पुश्तैनी पेशा
सकीना कहती है कि वे लोग सोना-चांदी की दुकान के बाहर सड़क की मिट्टी उठा कर उसकी सफाई कर जो आमदनी प्राप्त करते हैं यही उनके परिवार की परवरिश का आधार होता है. वे अपने आप को आदिवासी मानती है. परंतु संथाल नहीं मानती. उसका कहना है कि यह उसका पुश्तैनी पेशा है. दादा-दादी से लेकर वह आजतक यही धंधा करती रही है. अब तो उसके बेटे-पोते भी इस में लग गये हैं. अभी वे लोग देवघर में तंबू लगा कर डेरा डाले हैं. उनके सभी साथी विभिन्न बाजारों में जाकर यही कार्य कर रहे हैं.
नहीं मिलती है सहायता
स्थायी रोजगार नहीं रहने के कारण सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिल पाती है. इसलिए जिंदगी यहीं शुरू होती है और यहीं खत्म होती है.
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