921 करोड़ परियोजना पहुंची 2362.54 करोड़
राणा गौरी शंकर, मुंगेर:मुंगेर में गंगा नदी पर बन रहे रेल सह सड़क पुल के निर्माण में अप्रत्याशित विलंब ने मुंगेर को विकास की दौड़ में काफी पीछे छोड़ दिया है. निर्धारित समय सीमा 2007 का पुल अब तक पूर्ण नहीं हो पाया है. अलबत्ता पुल की लागत भले ही ढाई गुणा बढ़ गया. यह रेल सह सड़क पुल इस क्षेत्र के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इस पुल से जहां उत्तर बिहार व पूर्व बिहार की दूरी कम होगी वहीं मुंगेर के औद्योगिक व व्यावसायिक विकास को गति मिलेगी. यूं तो इस पुल का निर्माण वर्ष 2007 में ही पूरा होना था. लेकिन अब इसे दिसंबर 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
2002 में हुआ शिलान्यास
गंगा रेल सह सड़क पुल का शिलान्यास 26 दिसंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली से ही रिमोट दबा कर किया था. वह दिन मुंगेर के लिए ऐतिहासिक दिन था. शिलान्यास स्थल लाल दरवाजा में जब शिलापट से परदा हटा तो लोग झूम उठे थे और उस दिन मुंगेर में दीपावली मनायी गयी थी. गंगा रेल सह सड़क पुल की परियोजना शिलान्यास के समय 921 करोड़ की थी जो अब बढ़ कर 2362.54 करोड़ की हो गयी है. अर्थात पुल का लागत लगभग ढ़ाई गुणा बढ़ गया जिसका भार अंतत: जनता पर ही पड़ेंगी.
दो एनएच को जोड़ेगा
मुंगेर रेल सह सड़क पुल जहां भागलपुर-किऊल रेलखंड को उत्तर में कटिहार-बरौनी रेलखंड से जोड़ेगा वहीं राष्ट्रीय उच्च पथ 80 को राष्ट्रीय उच्च पथ 31 से जोड़ेगा. इस पुल निर्माण से उत्तर बिहार एवं पूर्व बिहार की दूरी लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर कम हो जायेगी. उत्तर में रेल पुल किऊल-बरौनी रेलखंड के साहबपुर कमाल एवं उमेशनगर स्टेशन को जोड़ेगी तो दक्षिण में भागलपुर-किऊल रेलखंड के रतनपुर एवं जमालपुर स्टेशन से जुड़ेगी. गंगा रेल सह सड़क पुल के निर्माण से मुंगेर का आर्थिक, औद्योगिक एवं सामाजिक विकास होगा. एक ओर जहां मुंगेर में व्यवसाय के नये द्वार खुलेंगे, वहीं नये उद्योग धंधे भी प्रारंभ होंगे. सामाजिक स्तर पर अंग, कोसी व मिथिला का मिलन होगा. मुंगेर से सहरसा-सुपौल, दरभंगा-मधुबनी, समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर की दूरी लगभग 100-150 किलोमीटर कम हो जायेगी.