सरकारी आवास में नहीं रहते अस्पताल उपाधीक्षक
सदर अस्पताल स्थित उपाधीक्षक का आवास बना कबाड़खाना मुंगेर : सदर अस्पताल में 24 घंटे रोगियों को समुचित सुविधा उपलब्ध हो. इसके लिए सरकार ने अस्पताल उपाधीक्षक को 24×7 दिन रहने का निर्देश है. जिसके लिए अस्पताल परिसर में ही उनके पारिवारिक आवास की व्यवस्था की गयी है. लेकिन मुंगेर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ […]
सदर अस्पताल स्थित उपाधीक्षक का आवास बना कबाड़खाना
मुंगेर : सदर अस्पताल में 24 घंटे रोगियों को समुचित सुविधा उपलब्ध हो. इसके लिए सरकार ने अस्पताल उपाधीक्षक को 24×7 दिन रहने का निर्देश है. जिसके लिए अस्पताल परिसर में ही उनके पारिवारिक आवास की व्यवस्था की गयी है. लेकिन मुंगेर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा अबतक एक दिन भी सरकारी आवास में नहीं रहे. वे किला परिसर स्थित अपने निजी आवास में रहते हैं और कार्यालय अवधि में अस्पताल में नजर आते. इसलिए अस्पताल की व्यवस्था भी बदहाल ही रहती है. एक पुरानी कहावत भी है ” मालिक गैले घर, बायां-दायां हर ”.
सरकारी नियमानुसार सदर असपताल में 24 घंटे सातों दिन अस्पताल उपाधीक्षक को अपने सरकारी आवास में ही रहना है़ यह आवास सदर अस्पताल परिसर में ही इसलिए बनाया गया है कि उपाधीक्षक को अस्पताल की निगरानी तथा मरीजों को होने वाली परेशानियों पर बारीकी से ध्यान रखा जा सके़ किंतु उपाधीक्षक जब से पदभार संभाले हैं, तब से वे एक भी दिन इस आवास में नहीं रहे हैं. जिस तरह अन्य स्वास्थ्य कर्मी ड्यूटी के लिए अस्पताल आते हैं, उसी तरह उपाधीक्षक भी प्रतिदिन अस्पताल हैं तथा शाम होते ही वापस अपने घर चले जाते हैं. इतना ही नहीं रविवार तथा छुट्टी के दिन वे छुट्टियां मनाते हैं.
अस्पताल में बढ़ी कुव्यवस्था
अस्पताल में उपाधीक्षक के नहीं रहने के कारण दिन प्रतिदिन कुव्यवस्थाएं बढ़ती ही जा रही है़ अस्पताल में कुव्यवस्थाओं का हाल जानना हो तो कभी भी रात्रि के दौरान यहां आकर देखा जा सकता है कि किस प्रकार स्वास्थ्य कर्मी ड्यूटी से गायब रहते हैं, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है़
यहां तक कि डॉक्टर तथा स्टाफ नर्स भी सो जाती है. जिन्हें जगाना काफी मुश्किल हो जाता है़ यदि वे जाग भी गये तो कुछ ऐसा बहाना कर देते हैं कि मरीज व उनके परिजन खुद शांत हो जाते हैं. कई बार तो मरीजों को सवेरा होने के इंताजार करने की नसीहत तक दे दी जाती है़ यदि अस्पताल उपाधीक्षक अपने सरकारी आवास पर रहेंगे तो भरसक ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी़
जर्जर भवन बना बहाना
अस्पताल परिसर स्थित आवास को जर्जर बता कर उपाधीक्षक बार-बार अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. किंतु जरा मरीजों का भी उन्हें ख्याल होना चाहिए, जिनका इलाज भी जर्जर भवन में ही चल रहा है़ उपाधीक्षक को अपने जान का बेहद खतरा है, किंतु उन्हें मरीजों की कोई परवाह नहीं है़ शाम से लेकर सुबह तक मरीज कैसे रात गुजारते हैं तथा छुट्टियों के दिनों में किस तरह मरीज ऑफिस खुलने के इंजार में रहते हैं. यदि इस बात का जरा भी ख्याल उपाधीक्षक को हाती तो वे निश्चित रूप से अस्पताल स्थित अपने सरकारी आवास पर रहते़ उपाधीक्षक आवास को इन दिनों कबाड़खाना में तब्दील कर दिया गया है़
आवस के भीतर कई बेड, ट्रॉली, मेडिसीन अल्मीरा, नवजात बच्चों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले वार्मिंग मशीन सहित और भी दर्जनों प्रकार के नये- पुराने सामग्री को रखा गया है़ मालूम हो कि अस्पताल के विभिन्न वार्डों के वनिस्पत उपाधीक्षक आवास की स्थिति बेहद अच्छी है़ बावजूद इसे कबाड़खाना बना दिया गया है़
उपाधीक्षक आवास व आवास में रखें टूटे-फूटे फर्नीचर.
सरकारी आवास की स्थिति काफी जर्जर है, जिसके कारण यहां नहीं रहते़
डॉ राकेश कुमार सिन्हा, अस्पताल उपाधीक्षक
जब मैं अस्पताल का उपाधीक्षक था तो इसी सरकारी आवास में रहते थे़ वर्तमान उपाधीक्षक को भी अपने सरकारी आवास में रहना चाहिए.
डॉ श्रीनाथ, सिविल सर्जन