2012 में होती पूरी, अब भी अधूरी
परेशानी. लोग पूछ रहे, आखिर कब पूरी होगी शहरी जलापूर्ति योजना उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित मुंगेर के नगरवासी पिछले दो दशक से प्यासे हैं. सरकार की नयी जलापूर्ति योजना हाथी का दांत साबित हो रहा है और यह कब पूर्ण होगा यह बताने वाला कोई नहीं. वर्ष 2012 में पूर्ण होने वाली परियोजना […]
परेशानी. लोग पूछ रहे, आखिर कब पूरी होगी शहरी जलापूर्ति योजना
उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित मुंगेर के नगरवासी पिछले दो दशक से प्यासे हैं. सरकार की नयी जलापूर्ति योजना हाथी का दांत साबित हो रहा है और यह कब पूर्ण होगा यह बताने वाला कोई नहीं. वर्ष 2012 में पूर्ण होने वाली परियोजना वर्ष 2016 में भी अधूरी है और शहर के लोग अशुद्ध पानी पीने को विवश हैं. मुंगेर शहर में कहीं आर्सेनिक तो कहीं आयरनयुक्त जल का सेवन हो रहा.
मुंगेर : मुंगेर की शहरी जलापूर्ति योजना आजादी के पूर्व सन 1928 की है जो पिछले दो दशक से शहरवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में सफल नहीं हो रही. क्योंकि बढ़ती आबादी एवं शहर के विकास के कारण पुरानी योजना विफल हो गयी और वर्ष 2005 में नयी जलापूर्ति योजना की व्यवस्था की गयी. काफी विलंब के बाद वर्ष 2009 में जलापूर्ति योजना का कार्य तो प्रारंभ हुआ. किंतु वह बीरबल का खिचड़ी बन गया है. अधिकारी से लेकर मंत्री तक का सभी डेटलाइन फेल कर चुका है
और अब योजना के पूर्ण होने के संदर्भ में सभी चुप्पी साध जाते हैं.
वर्ष 2012 में होना था पूर्ण : मुंगेर में नयी जलापूर्ति योजना के निर्माण की गति कछुए की चाल में है. हाल यह है कि 8 जनवरी 2011 को योजना का कार्य पूर्व के कंपनी से लेकर जिंदल को सौंपा गया. योजना का कार्य 8 जुलाई 2012 को पूर्ण होना था. किंतु निर्माण कंपनी द्वारा पाइप लाइन बिछाने का काम रोक-रोक कर किये जाने से स्थिति पूरी तरह बदहाल हो गयी है. इस वर्ष के प्रारंभ में पुन: शहर के कई क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया गया. जिसके कारण आधे दर्जन सड़कें ध्वस्त हो गयी. किंतु पाइप लाइन बिछाने का कार्य भी अबतक अधूरा है.
आर्सेनिक युक्त पानी पी रहे लोग
मुंगेर का क्षेत्र गंगा के किनारे है और यह आर्सेनिक से प्रभावित है. सरकारी तौर पर भी राज्य सरकार ने जिन जिलों को आर्सेनिक प्रभावित जिले के रूप में चिह्नित किया है उसमें मुंगेर शामिल है. आर्सेनिक का प्रभाव धीमे जहर के रूप में होता है. जिससे लीवर, किडनी व कैंसर जैसी बीमारी होती है.
आर्सेनिक को देखते हुए 18 फरवरी 2009 को राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुंगेर में जल जांच नमूना प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया था जो अब बेकार पड़ा है. फलत: शुद्ध पेयजल नहीं मिलने के कारण शहर के लोग आज भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश हैं.