लिंक केबिन की सुरक्षा भगवान भरोसे
उदासीनता . वाइ-लेग पर दौलतपुर रेलवे कॉलोनी, लिंक केबिन के प्रति रेलवे लापरवाह वाइ-लेग पर दौलतपुर रेलवे कॉलोनी में एक लिंक केबिन का निर्माण किया गया है. लेकिन, रेलवे इस लिंक केबिन की सुरक्षा के लिए लापरवाह बना हुआ है. जमालपुर : पूर्व रेलवे तथा पूर्व-मध्य रेलवे को जोड़ने के लिए जमालपुर के बड़ी आशिकपुर […]
उदासीनता . वाइ-लेग पर दौलतपुर रेलवे कॉलोनी, लिंक केबिन के प्रति रेलवे लापरवाह
वाइ-लेग पर दौलतपुर रेलवे कॉलोनी में एक लिंक केबिन का निर्माण किया गया है. लेकिन, रेलवे इस लिंक केबिन की सुरक्षा के लिए लापरवाह बना हुआ है.
जमालपुर : पूर्व रेलवे तथा पूर्व-मध्य रेलवे को जोड़ने के लिए जमालपुर के बड़ी आशिकपुर तथा दौलतपुर रेलवे कॉलोनी के बीच रेलवे ने वाइ-लेग का निर्माण किया गया है. इसकी लंबाई लगभग साढ़े सात सौ मीटर है. मालदा रेल मंडल के भागलपुर की ओर से आने वाली ट्रेनों को बगैर जमालपुर पहुंचे मुंगेर के नवनिर्मित रेल पुल होकर सोनपुर रेल मंडल की ओर भेजे जाने के लिए इस वाइ-लेग का निर्माण किया गया है. वाइ-लेग पर दौलतपुर रेलवे कॉलोनी में एक लिंक केबिन का निर्माण किया गया है. लेकिन, रेलवे इस लिंक केबिन की सुरक्षा के लिए लापरवाह बना हुआ है.
बताया जाता है कि लिंक केबिन का निर्माण तो आनन-फानन में कर दिया गया, परंतु वहां की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रेलवे द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है. विगत 06 अगस्त को ही वाइ-लेग पर ट्रायल किया गया. सब कुछ ठीक पाये जाने पर 08 अगस्त को रेलवे के निर्माण विभाग ने उसे परिचालन विभाग को सौंप दिया. वहीं 15 अगस्त को पहली बार इस वाइ-लेग से होकर मालगाड़ी का परिचालन सफलतापूर्वक किया गया था. एस दिन पाकुड़ से कोयला लेकर एक रैक वाइ-लेग के रास्ते मुंगेर पुल होकर क्रॉस किया था. इसके साथ ही वहां लिंक केबिन भी काम करना आरंभ कर दिया था. यह भी बताया गया है कि ट्रेन परिचालन आरंभ होने के साथ ही लिंक केबिन में विधिवत रूप से स्टेशन मैनेजर तथा पोर्टर की प्रतिनियुक्ति भी उसी दिन से कर दी गई है. तीन शिफ्टों में ये रेलकर्मी आठ-आठ घंटों का कार्य निष्पादन करते रहे हैं. उनका शिफ्ट सबेरे छह, अपराह्न दो बजे तथा रात्रि दस बजे से आरंभ होता है. परंतु तीन महीना बीत जाने के बाद भी वहां सुरक्षा व्यवस्था नगण्य है. आलम यह है कि रात्रि पाली में काम पर जाने वालों के लिए न तो उस रास्ते पर पर्याप्त लाइट की व्यवस्था की गई है और नहीं लिंक केबिन तक आने-जाने के लिए बाकायतदा संपर्क पथ का ही निर्माण किया गया है. और तो और यत्र-तत्र बिजली के तार को जमीन पर ही छोड़ दिया गया है, तो वहां कार्य करने वालों के लिए दुर्घटना को निमंत्रण देता है. इसके साथ ही लिंक केबिन के आसपास झाड़-झंकार रहने के कारण वहां रात्रि में सर्प व बिच्छु जैसे विषैले जंतु निकलते रहे हैं. इसके कारण भी वहां भय बना रहता है. उल्लेखनीय है कि पिछले 30 नवंबर 2014 को इस लिंक केबिन से महज डेढ़-दो सौ मीटर की दूरी पर ही नक्सलियों द्वारा 13236 डाउन इंटरसिटी ट्रेन में बड़ा हमला कर तीन सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी गई थी तथा उनके हथियार भी लूट लिये गये थे.
कहते हैं स्टेशन प्रबंधक. स्टेशन प्रबंधक इंदु कुमार ने इस संबध में बताया कि लिंक केबिन की सुरक्षा जमालपुर पोस्ट आरपीएफ के हवाले है. आरपीएफ अधिकारी वहां गश्ती करते हैं, परंतु स्थायी रूप से वहां सुरक्षा चौकी नहीं है.