ट्रेन के वैक्यूम से रफ्तार पर ब्रेक, यात्री परेशान
जमालपुर : किऊल-जमालपुर-भागलपुर रेलखंड पर लगातार ट्रेनों का अनाधिकृत ठहराव से रेलयात्री परेशान हैं. जगह-जगह पर इस रूट से चलने वाली लगभग तीन दर्जन ट्रेनों को प्रतिदिन वैक्यूम कर छोटे-छोटे हॉल्टों के साथ ही अंगरेजों द्वारा बनाये गये रेलवे गुमटियों पर रोक दिया जाता है. जिसके कारण न केवल ट्रेनों का समय पर परिचालन प्रभावित […]
जमालपुर : किऊल-जमालपुर-भागलपुर रेलखंड पर लगातार ट्रेनों का अनाधिकृत ठहराव से रेलयात्री परेशान हैं. जगह-जगह पर इस रूट से चलने वाली लगभग तीन दर्जन ट्रेनों को प्रतिदिन वैक्यूम कर छोटे-छोटे हॉल्टों के साथ ही अंगरेजों द्वारा बनाये गये रेलवे गुमटियों पर रोक दिया जाता है. जिसके कारण न केवल ट्रेनों का समय पर परिचालन प्रभावित होता है, बल्कि वैक्यूम कर ट्रेनों से उतरने वाले रेलवे को लगातार राजस्व का चूना भी लगा रहे हैं.
यूं तो रेलवे सुरक्षा बल तथा रेल पुलिस सीधे तौर पर वैक्यूम को रोकने के प्रति जिम्मेवार है. परंतु आम लोगों अपनी सुविधा के लिए जगह-जगह पर ट्रेनों को रोक कर न केवल कानून को तोड़ते हैं, बल्कि विभिन्न ट्रेनों में यात्रा कर रहे हजारों लोगों को नाहक परेशानी में डालते हैं. भागलपुर से किऊल की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है. जिस पर लगभग डेढ़ दर्जन रेलवे स्टेशन पड़ते हैं. जहां विभिन्न ट्रेनोंको नियमित रूप से रोका जाता रहा है. बताया जाता है कि इसी वैक्यूम के कारण कई सुपर फास्ट ट्रेन पैसेंजर ट्रेन के रूप में चलती है.
ट्रेनों का किऊल से साहेबगंज लूप लाइन में प्रवेश के साथ ही वैक्यूम काट कर ट्रेनों को रोके जाने की घटना से यात्री परेशान हैं. इस कार्य से जुड़े यात्रियों को पता होता है कि किस स्थान पर वैक्यूम काट देने से उन्हें उनके आवास तक पहुंचने में सबसे कम दूरी तय करनी होगी. बताया जाता है कि इस प्रकार के रेलयात्रियों में कई दैनिक यात्री शामिल होते हैं. जिनके द्वारा प्रति दिन इस प्रकार मनमाफिक रूप से ट्रेनों की गति को रोक दिया जाता है. हालांकि लोगों का मानना है कि पटना से ट्रेन खुलने के साथ ही किऊल की ओर आने वाली विभिन्न ट्रेनों में वैक्यूम काटने का सिलसिला आरंभ हो जाता है. खुसरूपुर से बाढ़ तक तथा किऊल से भागलपुर तक कई स्थान ऐसे हैं जो न तो हॉल्ट है और नहीं रेलवे गुमटी, परंतु पैसेंजर ट्रेन के साथ ही द्रुतगामी ट्रेनों को भी वैक्यूम काट कर वहां प्रतिदिन रोका जाता है और सुरक्षा एजेंसी मूक दर्शक बनी होती है.