अोपीडी में मौजूद चिकित्सक.
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न पैथोलॉजी, न इसीजी चल रहा कॉलेज अस्पताल
अोपीडी में मौजूद चिकित्सक. मुंगेर : मुंगेर के प्रसिद्ध दी टेम्पुल ऑफ हैनिमैन होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में न पैथोलॉजी की व्यवस्था है और न ही इसीजी की. यह ऐसा मेडिकल कॉलेज अस्पताल है जहां चार वर्षों से पैथोलॉजी का कक्ष ही नहीं खुला है तो एक्सरे मशीन धूल फांक रही है. बदहाली यह […]
मुंगेर : मुंगेर के प्रसिद्ध दी टेम्पुल ऑफ हैनिमैन होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में न पैथोलॉजी की व्यवस्था है और न ही इसीजी की. यह ऐसा मेडिकल कॉलेज अस्पताल है जहां चार वर्षों से पैथोलॉजी का कक्ष ही नहीं खुला है तो एक्सरे मशीन धूल फांक रही है. बदहाली यह है कि रोगियों का ताप मापने के लिए यहां थर्मामीटर तक उपलब्ध नहीं है. फिर भी इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल से प्रतिवर्ष 50 विद्यार्थी डॉक्टर बनकर निकलते हैं.
होमियोपैथ मेडिकल कॉलेज अस्पताल कर व्यवस्था में इतनी गिरावट आ गयी कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इस वर्ष डीएचएमएस के प्रथम वर्ष में नामांकन पर रोक लगा दी है. मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में आउटडोर की व्यवस्था बदहाल है तो इंडोर की कल्पना भी नहीं की जा सकती. क्योंकि 24 घंटे न तो डॉक्टर मौजूद रहते हैं और न ही अन्य चिकित्सकीय कर्मी. बदहाली का आलम यह है कि यहां सामान्य सर्दी-खांसी व बुखार की दवा भी उपलब्ध नहीं है. कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ एके तिवारी की माने तो शासी निकाय के समक्ष दवा खरीद का प्रस्ताव दिया गया है जो अबतक स्वीकृत नहीं हुआ है.
ओपीडी में नहीं पहुंचते मरीज: गुरुवार को सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक प्रभात खबर की टीम दी टेम्पुल ऑफ हैनिमैन होमियो पैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल की गहन पड़ताल की. इस दौरान हॉस्पिटल के ओपीडी में एक भी मरीज इलाज के लिए नहीं पहुंचे़ जबकि यहां के उपाधीक्षक डॉ श्यामदेव प्रसाद का दावा है कि यहां के ओपीडी में प्रतिदिन 15-20 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. किंतु प्रभात पड़ताल के दौरान उपाधीक्षक के दावे की पोल खुल गयी़ बाद में बताया गया कि शुक्रवार व सोमवार को विशेषज्ञ चिकित्सक रहते हैं इसलिए उसी दिन रोगियों की भीड़ लगती है.
सामान्य दवा तक नहीं है उपलब्ध
मेडिकल कॉलेज के नाते यहां हर प्रकार की बीमारियों से संबंधित लगभग 400 प्रकार की दवाएं उपलब्ध होनी चाहिए़, लेकिन वर्तमान समय में यहां 200 से अधिक प्रकार की दवाएं उपलब्ध नहीं है़ चौंकाने वाली बात यह है कि यहां सर्दी, खांसी व बुखार जैसी सामान्य बीमारियों के उपचार की भी दवा नहीं है़
चार साल से बंद है पैथोलॉजी
होमियोपैथ मेडिकल कॉलेज का पैथोलॉजी चार वर्ष से बंद है. यहां किसी भी प्रकार की पैथोलॉजिकल जांच नहीं हो रहा. अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि डॉक्टर व टेक्निकल कर्मचारी तो उपलब्ध हैं, लेकिन केमिकल नहीं है. जिसके कारण पैथोलॉजी का संचालन नहीं हो रहा है.
कहते हैं प्राचार्य
प्राचार्य डॉ एके तिवारी ने बताया कि उन्होंने चार माह पूर्व ही प्रभारी का पदभार संभाला है़ उन्हें जो पूर्व की व्यवस्था मिली है उसी को ठीक कर काम करने का प्रयास कर रहे. लेकिन वे खुद व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं. यहां काफी दबाव में काम करना पड़ता है.
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