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इमरजेंसी व प्रतिरक्षण सुविधा नहीं

होमियोपैथ मेडिकल कॉलेज. नवजात शिशुओं को नहीं दिया जाता है टीका होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ओपीडी सेवा तो चलती है, किंतु आपातकालीन सेवा की व्यवस्था नहीं है़ इस कारण यह संस्थान सिर्फ नाम का मेडिकल कॉलेज अस्पताल रह गया है़ मुंगेर : जिस तरह किसी भी अस्पताल में ओपीडी के अलावे इमरजेंसी सेवा […]

होमियोपैथ मेडिकल कॉलेज. नवजात शिशुओं को नहीं दिया जाता है टीका

होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ओपीडी सेवा तो चलती है, किंतु आपातकालीन सेवा की व्यवस्था नहीं है़ इस कारण यह संस्थान सिर्फ नाम का मेडिकल कॉलेज अस्पताल रह गया है़
मुंगेर : जिस तरह किसी भी अस्पताल में ओपीडी के अलावे इमरजेंसी सेवा की सुविधा आवश्यक होती है, उसी प्रकार प्रसव केंद्र पर प्रतिरक्षण की व्यवस्था रहना भी अनिवार्य है़ किंतु टी टैम्पुल ऑफ हैनिमैन होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल मुंगेर में गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है किंतु जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं का टीकाकरण कहीं और करवाना पड़ता है़
चार माह से बंद है इमरजेंसी सेवा
इमरजेंसी सेवा का मतलब होता है कि 24 घंटे सातों दिन गंभीर व दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के इलाज की व्यवस्था उपलब्ध होना़ किंतु इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले चार माह से यह सेवा पूरी तरह बंद है़ अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ श्यामदेव प्रसाद यादव ने बताया कि पहले यहां पर मरीजों को आपातकालीन चिकित्सा सेवा की सुविधा उपलब्ध करायी जाती थी़ किंतु 4 माह पूर्व तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य डॉ बीएन पोद्दार ने इमरजेंसी सेवा को बंद कर दिया़ जिसके बाद आपातकालीन चिकित्सा के लिए आने वाले मरीजों को यहां से लौट कर वापस जाना पड़ता है़
कहते हैं प्रभारी प्राचार्य: प्रभारी प्राचार्य डॉ एके तिवारी ने बताया कि वे लगातार इस प्रयास में लगे हुए हैं कि यहां पर बंद पड़े हर चिकित्सकीय सेवाओं को पुनर्जिवित किया जा सके़ इसे लेकर स्वयं ही बेहद चिंतित हैं.
10 चिकित्सकों की है आवश्यकता
चिकित्सकों का भी है अभाव
आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए चिकित्सकों की संख्या पर्याप्त नहीं है़ उपाधीक्षक का कहना है कि वर्तमान समय में यहां पर उनके अलावा डॉ प्रमोद कुमार तथा डॉ सनातन कुमार पदस्थापित हैं. दो अन्य चिकित्सक डॉ केएन पोद्दार तथा डॉ मिथिलेश पाठक सिर्फ सोमवार व शुक्रवार के ओपीडी में आते हैं, जो इंटर्नशीप के छात्रों के साथ पुराने रोगियों का इलाज करते हैं. इमरजेंसी सेवा का नियमित संचालन किये जाने के लिए यहां कम से कम 10 चिकित्सकों की आवश्यकता है.
दो साल से प्रतिरक्षण की सुविधा बंद
पूर्व में इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नवजात शिशुओं के प्रतिरक्षण की सुविधा दी जाती थी़ इस कारण प्रसव के उपरांत नवजात को टीकाकरण के लिए कहीं बाहर नहीं ले जाना पड़ता था़ किंतु पिछले दो साल से यह सेवा पूरी तरह बंद कर दी गयी है़ उपाधीक्षक ने बताया कि पूर्व में डॉ मदन सिंह यहां पर प्रतिरक्षण कार्यक्रम की देखरेख करते थे़ किंतु उसके चले जाने के बाद से सदर अपताल ने यहां से प्रतिरक्षण का केंद्र हटा लिया गया. नतीजतन नवजात के टीकारण के लिए सदर अस्पताल व अन्य संस्थानों के तरफ रूख करना पड़ता है़

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