पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत हुए स्वामी निरंजनानंद सरस्वती

मुंगेर : सत्यानंद योग पद्धति को देश और दुनिया में स्थापित करने वाले परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को रविवार को पादुका दर्शन संन्यास पीठ में आयोजित एक सादे समारोह में पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया. मुंगेर के डीएम उदय कुमार सिंह ने भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भेजे गये पद्मभूषण सम्मान को स्वामी जी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2017 8:09 AM

मुंगेर : सत्यानंद योग पद्धति को देश और दुनिया में स्थापित करने वाले परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को रविवार को पादुका दर्शन संन्यास पीठ में आयोजित एक सादे समारोह में पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया. मुंगेर के डीएम उदय कुमार सिंह ने भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भेजे गये पद्मभूषण सम्मान को स्वामी जी को समर्पित किया. सम्मानित होने के बाद परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि पद‍्मभूषण का सम्मान मेरा नहीं, बल्कि बिहार और मुंगेर की जनता का है. यह सम्मान मैं उन्हीं को समर्पित करता हूं. उन्होंने कहा कि मैं तो एक साधन मात्र हूं. असल काम तो स्वामी शिवानंद ने 1930 में योग का वीजारोपण कर किया था और स्वामी सत्यानंद उस बंजर भूमि को योग के लायक बनाया.

हम तो उनकी खेती को सिंचित करने का प्रयास करते रहे हैं. उन्होंने उन तमाम लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने उन्हें इस सम्मान के लिए चयन किया और अपना मत दिया. गौरतलब है कि स्वामी निरंजनानंद सरस्वती पंचाग्नि साधना के कारण दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित अलंकरण समारोह में शरीक नहीं हो पाये थे. लिहाजा उनका सम्मान राज्य सरकार को भेजा गया और उसके प्रतिनिधि के रूप में मुंगेर के जिलाधिकारी ने आज उन्हें सुपूर्द किया. जिलाधिकारी ने कहा कि स्वामी निरंजनानंद सरस्वती पूरी दुनिया में मुंगेर को एक पहचान दिलायी है. इस सम्मान से मुंगेर का मान बढ़ा है.

रिखिया पीठ की पीठाधेश्वरी साध्वी सत्यसंगानंद सरस्वती ने स्वामी सत्यानंद के योग परंपरा को विस्तार से रेखांकित किया और कहा कि स्वामी निरंजन ने सत्यानंद योग को पूरी दुनिया में फैलाया है. आज जब उन्हें यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है तो मैं काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. वे त्याग, समर्पण, श्रद्धा, विश्वास, सेवा और प्रेम के प्रतीक हैं.

5. स्वामी निरंजनानंद को पद्मभूषण सम्मान से मुंगेर गौरवान्वित

मुंगेर के पावन धरती पर ही मिला स्वामी निरंजनानंद को पद्मभूषण

मुंगेर : बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को देश के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्मभूषण का सम्मान मिलने से आज योग नगरी मुंगेर गौरवान्वित हुआ है.

भागीरथी के तट पर स्थित राजा कर्ण एवं स्वामी सत्यानंद के इस पावन भूमि पर ही उन्हें देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा प्रदत्त पद्मभूषण का अलंकरण प्रदान किया गया. मुंगेर के लिए 14 मई 2017 का दिन इस लिहाज से भी इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अंकित हो गया कि जिस पावन भूमि से स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग का संदेश पुरी दुनिया को दिया था. उसी भूमि पर उनके परम शिष्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद को पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया.

यूं तो यह सम्मान दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में ही देने की परंपरा रही है. लेकिन शायद नियति ने यह तय कर रखा था कि मुंगेर के पावन धरती पर ही स्वामी निरंजनानंद को यह सम्मान मिलना है.

तभी तो जब दिल्ली में अलंकरण समारोह चल रहा था तो उस समय स्वामी निरंजन अपने योग के पंचाग्नि साधना में लीन थे. पंचाग्नि जैसे कठोर साधना के नियम व अनुशासन के कारण वे दिल्ली के समारोह में शरीक नहीं हो सके और फिर उन्हें आज मुंगेर में वह सम्मान प्रदान किया गया. उन्होंने पद्मभूषण प्राप्त करने के बाद खुद ही कहा कि यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि बिहार और मुंगेर की जनता का है.

निश्चित रूप से यह सम्मान इस प्रदेश को समर्पित है. क्योंकि बिहार में पहली बार स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को ही पद्मभूषण का सम्मान प्राप्त हुआ है.

अलंकरण समारोह को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी उदय कुमार सिंह ने कहा कि स्वामी निरंजनानंद सरस्वती पूरी दुनिया में मुंगेर को एक पहचान दिलायी है. इस सम्मान से मुंगेर का मान बढ़ा है.

अपने संस्मरण में उन्होंने कहा कि देवऋषि की वाणी सही सिद्ध होती है. इसका अनुभव उन्हें इस बार हुआ. जब दिल्ली में आयोजित अलंकरण समारोह का लाइव टेलीकास्ट देख रहा था तो स्वामी जी को नहीं देखकर मायूसी हुई और दूसरे दिन उनसे कहा कि आपने मुंगेर के लोगों के साथ-साथ मुझे भी निराश किया है. तो सहज रूप से स्वामी जी ने प्रतिउत्तर में कहा कि यह सम्मान मुझे आपके हाथों से मिलना है.

जो आज सत्य साबित हुई. बिहार योग विद्यालय के वरिष्ठ संयासी स्वामी शंकरानंद ने कहा कि मेरा यह सौभाग्य है कि आश्रम के शैशव अवस्था से लेकर उत्कृष्टता तक के सफर का साक्षी हूं. स्वामी जी बाल्यावस्था में यहां आये थे और गुरुदेव ने योग का उत्तराधिकारी बनाया. उनके सम्मान से मुंगेर का गौरव बढ़ा है. साथ ही गुरुदेव की वाणी सही सिद्ध हुई है कि योग विश्व की भावी संस्कृति बनेगी.

इस अवसर पर अरुण गोयनका, बाल योग मित्र मंडल के खुशी प्रिया, संगम ने भी अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम का शुभारंभ बाल योग मित्र मंडल के बच्चों के गीत ” वैदिक विश्व बना दे मैया ” से हुआ. मौके पर भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव एके झा, प्रमंडलीय आयुक्त नवीन चंद्र झा, अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक आशीष भारती, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक केके उपाध्याय, वरिष्ठ समाजसेवी निरंजन शर्मा सहित अन्य मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन स्वामी त्यागराज ने किया. समारोह में स्वामी ज्ञान भिक्षु, स्वामी कैवल्यानंद के साथ-साथ आश्रम में प्रवास कर रहे दुनिया के 120 देशों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

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