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पांच माओवादियों को फांसी की सजा

फैसला. सीआरपीएफ जवानों सोमे गौरा व रवींद्र राय की हत्या का आरोप मुंगेर : लोकसभा चुनाव 2014 में ड्यूटी पर जा रहे केंद्रीय सुरक्षा बल के हवलदार सोमे गौरा एवं रवींद्र राय की हत्या के मामले में मुंगेर के अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव ने दोषी पाकर गुरुवार को पांच माओवादियों को फांसी […]

फैसला. सीआरपीएफ जवानों सोमे गौरा व रवींद्र राय की हत्या का आरोप

मुंगेर : लोकसभा चुनाव 2014 में ड्यूटी पर जा रहे केंद्रीय सुरक्षा बल के हवलदार सोमे गौरा एवं रवींद्र राय की हत्या के मामले में मुंगेर के अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव ने दोषी पाकर गुरुवार को पांच माओवादियों को फांसी की सजा सुनायी. आरोपितों में मन्नु कोड़ा, बानो कोड़ा, रत्तू कोड़ा, अधिकलाल पंडित व विपिन मंडल शामिल हैं. ये सभी प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के सक्रिय सदस्य बताये जाते हैं. इस मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक सुशील कुमार सिन्हा एवं संदीप भट्टाचार्या ने बहस में भाग लिया.
गलत अनुसंधान के कारण नहीं लागू हो पाया यूएपी अधिनियम
अपर लोक अभियोजक संदीप भट्टाचार्य ने इस मामले में कांड के अनुसंधानकर्ता सह खड़गपुर के तत्कालीन अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके गलत अनुसंधान के कारण इस मामले में यूएपी अधिनियम लागू नहीं हो पाया. अभियोजन एवं बचाव पक्ष की ओर से बहस सुनने के बाद न्यायालय ने घटना को गंभीर मानते हुए सभी पांचों आरोपितों को भादवि की धारा 302 के तहत जहां फांसी की सजा सुनायी. वहीं विस्फोटक अधिनियम की धारा 3 के तहत अंतिम सांस तक आजीवन कारावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 4 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं 25 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 5 के तहत 15 वर्ष सश्रम कारावास व 5 हजार रुपये अर्थदंड, भादवि की धारा 147 के तहत दो वर्ष का कारावास व 10 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 148 के तहत तीन वर्ष कारावास व 15 हजार रुपये जुर्माना, धारा 307 के तहत आजीवन कारावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी.
लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान बारुदी सुरंग विस्फोट के बाद की थी अंधाधुंध फायरिंग
क्या था मामला
10 अप्रैल 2014 को जमुई संसदीय क्षेत्र के मतदान के दिन तड़के जब सीआरपीएफ के जवान भीमबांध कैंप से चुनाव कराने के लिए निकल रहे थे तो गंगटा जंगल के सवा लाख बाबा स्थान के समीप 50-60 की संख्या में भाकपा माओवादी के सदस्यों ने बारुदी सुरंग विस्फोट किया था. इसमें सीआरपीएफ के दस सुरक्षाकर्मी घायल हो गये थे.
विस्फोट के बाद माओवादियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. इसमें दो जवान हवलदार सोमे गौरा व रवींद्र राय की जहां मौत हो गयी थी, वहीं सीआरपीएफ के जवान अशोक बेसरा, राघवेंद्र सिंह, धर्मात्मा कुमार सिंह, धर्मपाल, रामपाल, विक्रम सिंह व विश्वनाथ माओवादियों के गोली से घायल हो गये थे.
यह सामान्य घटना नहीं : लोक अभियोजक
सत्रवाद संख्या 319/15 में सुनवाई करते हुए विद्वान न्यायाधीश ने उपलब्ध साक्ष्य व गवाहों के बयान के आधार पर लखीसराय जिले के बरमसिया निवासी मन्नू कोड़ा व बानो कोड़ा, जमुई जिले के लक्ष्मीपुर चौकिया निवासी रत्तू कोड़ा, मुंगेर जिले के खड़गपुर थाना क्षेत्र के अधिकलाल पंडित व घुघलाडीह के विपिन मंडल को भादवि की धारा 302, 307, 341, 353, 147, 148 व विस्फोटक अधिनियम की धारा 3, 4, 5 के तहत दोषी पाया.
सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक सुशील कुमार सिन्हा ने जहां नक्सलवाद के इतिहास की चर्चा करते हुए विभिन्न घटनाओं का जिक्र किया और कहा कि यह सामान्य श्रेणी की हत्या नहीं है. इसलिए आरोपितों को सख्त सजा दी जाय.

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