सच्चा भक्त वही जो सिर्फ भगवान को चाहे : स्वामी सुबोधानंद
हरिद्वार से पधारे स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने कहा है कि सच्चा भक्त वही है जो सिर्फ और सिर्फ भगवान को ही चाहता है.
असरगंज. हरिद्वार से पधारे स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने कहा है कि सच्चा भक्त वही है जो सिर्फ और सिर्फ भगवान को ही चाहता है. भगवान से संसार की कोई भी वस्तु नहीं चाहता है. यहां तक कि वह अष्टसिद्धि, नवनिधि और मुक्ति तक को भी ठुकरा देता है. ये बातें उन्होंने शनिवार को नगर पंचायत के दुग्ध बाजार स्थित श्री मायाराम ठाकुरबाड़ी में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचन करते हुए कही. स्वामी सुबोधानंद ने कहा कि निष्काम और सच्चा भक्त भगवान को जितना प्रिय होता है, उतना सकाम भक्त हो ही नहीं सकता. भगवान ऐसे ही भक्त के वश में रहते हैं. भगवान ने दुर्वासा जी से स्वयं ही कहा है कि मैं अपनी अर्धांगिनी लक्ष्मी जी को तो त्याग भी सकता हूं, किंतु अपने सच्चे और निष्काम भक्तों को त्यागने की बात भी नहीं सोच सकता. उन्होंने भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए कहा कि प्रह्लाद जी का मन सदा सर्वदा भगवान नारायण के श्री चरणों में ही लगा रहता था. दैत्यराज हिरण्यकशिपु की आज्ञा से दैत्यौं ने मिलकर प्रह्लाद को मारने के अनेकों उपाय किए. लेकिन उनका बाल भी बांका नहीं कर सके. क्योंकि भगवान सदैव उनकी रक्षा में तत्पर रहते थे. नरसिंह भगवान ने हिरण्यकशिपु की छाती चीर कर उसके प्राण हर लिए. प्रह्लाद जी ने भगवान से अपने पिता की सद्गति के लिए प्रार्थना की तो भगवान ने कहा कि तुम्हारे जैसा भक्त पुत्र जिस कुल में उत्पन्न होता है, उस कुल की 21 पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है.
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