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Munger news : आधी-अधूरी उपलब्धियों में गुजरा साल

-एमयू को नहीं मिल पायी अपने भवन के लिए जमीन, न हुई छात्र संघ व सीनेट चुनाव

मुंगेर. चार दिन बाद साल 2024 समाप्त हो जायेगा, लेकिन मुंगेर विश्वविद्यालय के लिए पूरा साल आधी-अधूरी उपलब्धियों के बीच ही बीता. अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शिक्षकों को अपने प्रमोशन की आस जहां अधूरी रह गयी. वहीं अनुकंपा आश्रितों को अपनी नियुक्ति की आस भी पुरी नहीं हुई. एमयू छात्र संघ व सीनेट चुनाव की घोषणा तो हुई, लेकिन चुनाव नहीं हो पाया. इतना ही नहीं मुंगेर विश्वविद्यालय को अपने भवन के लिए जमीन भी नहीं मिल पायी.

मुंगेर विश्वविद्यालय को नहीं मिल पायी जमीन

एमयू के स्थापना के छह साल बीत चुके हैं. आरंभ से ही विश्वविद्यालय के लिए सबसे प्रमुख मांग अपने लिये जमीन व भवन रहा. ताकि सुचारू रूप से विश्वविद्यालय का संचालन हो सके, लेकिन वर्ष 2024 में भी एमयू को अपने लिये जमीन नहीं मिल पाया. 19 सितंबर को जिला प्रशासन मुंगेर द्वारा शिक्षा विभाग के विशेष सचिव को मुंगेर विश्वविद्यालय के लिए चिह्नित जमीन को लेकर पत्र भेजा गया. इसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय के परिसर व भवन निर्माण के लिए बिरजपुर मौजा थाना संख्या-10 से संबंधित कुल रकबा 20 एकड़ 6.221 डिसमिल रैयती भूमि को बिहार सतत निति 2014 के तहत अधिग्रहण के लिए चिह्नित की गयी है, जिसमें कुल 22 रैयतों की भूमि है. इस भूमि का एमभीआर (बाजार मूल्य आधारित) के अनुसार कृषि द्वितीय क्षेणी की भूमि का अनुमानित मूल्य 6,200 रुपये प्रति डिसमिल के दर से कुल चार करोड़ 97 लाख 54 हजार 281 रुपये आंकी गयी है. वहीं, जिला प्रशासन द्वारा इस भूमि को सतत लीज निति 2014 के तहत अधिग्रहण करने की अनुशंसा की गयी है, लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद अबतक इसे लेकर सरकार से स्वीकृति नहीं मिल पायी.

नहीं हो पाया छात्र संघ व सीनेट चुनाव

एमयू के लिए साल 2024 प्रमोशन के साथ सीनेट व छात्र संघ चुनाव के लिए भी काफी हंगामेदार रहा. हालांकि दो बार छात्र संघ चुनाव व एक बार सीनेट चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की गयी, जिसके लिये जोर-शोर से तैयारी भी की गयी, लेकिन हर बार आखिरी समय पर दोनों ही चुनावों को स्थगित कर दिया गया. इसके कारण छह साल बाद भी विश्वविद्यालय के सीनेट में न तो शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को अपना प्रतिनिधि मिल पाया है और न ही विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को अपनी समस्या को मजबूती से रखने के लिए विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकार में प्रतिनिधि मिल पाया.

सीनेट व सिंडिकेट की बैठक के बिना बीत गया पूरा साल

एमयू के अबतक के छह साल के इतिहास में साल 2024 पहला वर्ष रहा. इसमें विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकार सिंडिकेट तथा सीनेट की बैठक नहीं हो पायी. हालांकि तीन अगस्त को सिंडिकेट की बैठक हुयी, लेकिन उसमें केवल प्रमोशन के एजेंटे को ही पारित किया गया. वहीं पूरा साल बीत जाने के बावजूद सीनेट की बैठक नहीं हो पायी. जबकि नियमानुसार साल में 8 बार से अधिक सिंडिकेट की बैठक होनी थी. वहीं एक बार सीनेट की बैठक होनी थी, लेकिन एमयू का पूरा साल बिना सिंडिकेट व सीनेट बैठक के ही बीत गया. इस कारण एमयू के अधिकांश कार्य बिना सक्षम प्राधिकारों के अनुमोदन के ही चल रहा है.

नहीं मिला दो विषयों के शिक्षकों को प्रमोशन

एमयू के लिए साल 2024 सबसे यादगार रहेगा, क्योंकि इस साल एमयू के शिक्षकों ने अपने हक की लड़ाई लड़कर प्रमोशन हासिल किया, लेकिन दो विषय राजनीति विज्ञान तथा अर्थशास्त्र के शिक्षकों के लिए काफी दर्द भरा रहेगा, क्योंकि दोनों विषयों के शिक्षकों को अपने प्रमोशन मिलने की आस अधूरी रह गयी. बता दें कि अगस्त माह में शिक्षकों के हंगामेदार आंदोलन के बाद प्रमोशन की प्रक्रिया पूर्ण की गयी. हालांकि एमयू की प्रमोशन प्रक्रिया अब खुद सवालों के घेरे में है, लेकिन सबसे अधिक टीस अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शिक्षकों को रही. जो अपने साथियों को प्रमोशन मिलता तो देखते रहे, लेकिन खुद का प्रमोशन हासिल नहीं कर पाये.

अनुकंपा आश्रितों की भी आस रह गयी अधूरी

वैसे तो एमयू के अनुकंपा आश्रित अपनी नियुक्ति को लेकर साल 2019 से ही आंदोलन, धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच विश्वविद्यालय द्वारा साल 2022 में सात अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति दी गयी. जबकि शेष 16 से अधिक अनुकंपा आश्रितों को साल 2023 और साल 2024 में केवल नियुक्ति का आश्वासन ही मिला. इस साल जुलाई व अगस्त में अनुकंपा आश्रितों ने अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर विश्वविद्यालय में धरना भी दिया, लेकिन इसके बावजूद विश्वविद्यालय अनुकंपा आश्रितों की नियुक्ति पूरी नहीं कर पाया. ऐसे में इस साल भी लगभग 16 अनुकंपा आश्रितों को अपने नियुक्ति की आस अधूरी रह गयी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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