मुंगेर : बुडको (बिहार शहरी क्षेत्र आधारभूत संरचना निगम) द्वारा लाल दरवाजा स्थित श्मशान घाट में 2.14 करोड़ की लागत से बने विद्युत शवदाह गृह को शुक्रवार को नगर निगम को सुपुर्द कर दिया गया और शनिवार से यहां शव का दाह-संस्कार हो सकेगा. मुंगेर नगर निगम की मेयर रूमा राज ने बटन दबा कर एवं फीता काट कर इसका शुभारंभ किया. मौके पर नगर आयुक्त श्रीकांत शास्त्री मुख्य रूप से मौजूद थे.
नगर आयुक्त ने कहा कि लोग पुरानी परंपरा को छोड़ कर विद्युत शवदाह गृह में मृतकों का दाह संस्कार करें. इससे जहां पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा. वहीं शव जलाने में लगने वाले समय की भी बचत होगी. साथ ही कोरोना पॉजिटिव मृतक के शव को विद्युत शवदाह गृह में जलाने पर संक्रमण फैलने की संभावना भी नहीं के बराबर रहेगी. उन्होंने कहा कि विद्युत शवदाह गृह का मेंटेनेंस अब नगर निगम करेगा. यहां 24 घंटा शव जलाने की सुविधा रहेगी. नगर निगम द्वारा निर्धारित राशि की रसीद शवदाह गृह स्थित काउंटर पर कटाने के बाद आधा से पौने घंटा में मृतक का दाह संस्कार संपन्न कर लोग घर लौट सकेंगे. सशक्त समिति की बैठक में शवदाह के शुल्क का निर्धारण नगर आयुक्त ने बताया कि शवदाह गृह में शव जलाने के लिए राशि का निर्धारण शनिवार को सशक्त समिति की बैठक में किया जाएगा. जब तक राशि का निर्धारण नहीं होता है. लोग नि:शुल्क शव जला सकेंगे. विद्युत शव दाह गृह में 24×7 सेवा के लिए सात कर्मियों को नियुक्त किया गया है. इसमें आपरेटर और सर्विस मैन शामिल हैं.
नगर आयुक्त ने कहा कि दिसंबर 2018 में 2.14 करोड़ की लागत से विद्युत शवदाह गृह बनाने की जिम्मेवारी बुडको को दी गयी थी. इसे नौ माह में पूर्ण किया जाना था. परंतु तकनीकी कारणों कार्य संपन्न होने में ढाई वर्ष लग गये.बुडको के सहायक अभियंता ने बताया कि विद्युत शव दाह गृह 54 किलोवाट बिजली की खपत पर संचालित होगा. 40 से 45 मिनट के अंदर शव का दाह संस्कार संपन्न हो जाएगा. शव जलाने के दौरान निकलने वाले धुंआ से आसपास का पर्यावरण प्रदूषित नहीं हो, इसके लिए 100 फीट उंची स्टील की चिमनी लगायी गयी है. शव जलाने के दौरान बड़ा मोटर चलाया जाएगा. इससे काला धुंआ चिमनी के ऊपर निकलता रहेगा.
हिंदू परंपरा में मौत के बाद डोमराजा से मुखाग्नि देने का रिवाज है. साथ ही शव जलाने का कार्य भी श्मशान घाट पर मौजूद डोमराजा ही करते हैं. हाल के दिनों में श्मशान घाट पर डोमराजा की मनमानी इस कदर बढ़ गयी थी कि शव जलाने के नाम पर 30 से 35 हजार रुपये तथा मुखाग्नि देने के नाम पर 3 से 5 हजार रुपये की मांग मृतक के परिजनों से की जाती थी. इतनी अधिक रकम देने में असमर्थता जताने पर श्मशान घाट में मृतक के परिजनों के साथ डोमराजा द्वारा अमर्यादित व्यवहार भी किया जाता था. इस दौरान मोल-तोल के पश्चात शव जलाया जाता था. विद्युत शवदाह गृह चालू हो जाने के बाद डोमराजा की मनमानी से लोगों को मुक्ति मिलेगी.
मेयर रूमा राज ने बताया कि लोग पुरानी परंपरा छोड़ कर विद्युत शव दाह गृह में ही शव का दाह संस्कार करें. इससे जहां पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा. वहीं लोगों को दाह संस्कार में लगने वाले समय की भी बचत हो सकेगी. निर्धारित राशि की रसीद कटा कर लोग एक घंटा के अंदर दाह-संस्कार संपन्न कर घर जा सकेंगे