एचआइवी पीड़ित प्रसूता का एक बार भी नहीं करायी गयी थी एएनसी जांच

सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में शनिवार को प्रसव के एक दिन पूर्व एचआईवी पॉजिटिव पाये जाने वाली संग्रामपुर निवासी प्रसूता का उसके 9 माह के गर्भधारण के दौरान एक बार भी एएनसी जांच नहीं कराया गया था

By Prabhat Khabar News Desk | July 28, 2024 11:20 PM

प्रतिनिधि, मुंगेर. सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में शनिवार को प्रसव के एक दिन पूर्व एचआईवी पॉजिटिव पाये जाने वाली संग्रामपुर निवासी प्रसूता का उसके 9 माह के गर्भधारण के दौरान एक बार भी एएनसी जांच नहीं कराया गया था, जबकि संग्रामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूता के एचआईवी पॉजिटिव पाये जाने और उसे मुंगेर सदर अस्पताल प्रसव केंद्र रेफर किये जाने के बावजूद इसकी सूचना जिला मुख्यालय को नहीं दी गयी. अब ऐसे में जिले में स्वास्थ्य विभाग के गर्भवतियों के स्वास्थ्य को लेकर चलाये जा रहे प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना तथा एचआईवी मरीजों के लिये चलाये जाने वाली योजनाओं पर सवाल खड़ा होने लगा है.

नौ माह में एक भी नहीं कराया गया था एएनसी

जांच

सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में संग्रामपुर सीएचसी से जिस एचआईवी प्रसूता को प्रसव के लिये सदर अस्पताल प्रसव केंद्र रेफर कर भेजा गया था. उसका पूरे 9 माह के गर्भधारण के दौरान एक बार भी एएनसी जांच नहीं कराया गया था, जबकि संबंधित क्षेत्र की आशा सहित वहां के बीसीएम की जिम्मेदारी थी कि महिला का समय-समय पर एएनसी जांच कराया जाये. परिजनों के अनुसार उक्त महिला का गर्भ के दौरान किसी प्रकार का जांच नहीं किया गया. जबकि निजी जांच केंद्र में एचआईवी पॉजिटिव पाये जाने के कारण उसका इलाज निजी क्लीनिक में ही कराया जा रहा था. अब ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन कार्यक्रम पर बड़ा सवाल खड़ा होने लगा है.

सीएचसी में एचआईवी पाये जाने के बाद मुख्यालय को नहीं दी गयी थी सूचना

सरकार एचआईवी मरीजों के इलाज के लिये कई प्रकार की योजनाएं चला रही है, जबकि जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा आये दिन एचआईवी मरीजों की पहचान के लिये सर्वे अभियान भी चलाये जाना का दावा किया जाता है. बावजूद उक्त महिला की पहचान न तो सर्वे के दौरान हो पायी और न ही संग्रामपुर सीएचसी में एचआईवी पॉजिटिव पाये जाने के बाद इसकी सूचना संबंधित प्रखंड के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जिला मुख्यालय संचारी रोग विभाग को दी गयी. हद तो यह है कि प्रसूता के प्रसव केंद्र पहुंचने और बच्चे के होने के बाद भी प्रसव केंद्र की स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इसकी सूचना संचारी रोग विभाग को दी गयी.

कहते हैं संचारी रोग पदाधिकारी

संचारी रोग पदाधिकारी डॉ ध्रुव कुमार ने बताया कि बच्चे को जन्म के बाद ही एचआईवी के लिये निर्धारित दवा दी गयी थी. जबकि अब डेढ़ माह, तीन माह और 6 माह के अंतराल पर बच्चे का जांच किया जायेगा, इसमें 6 माह में जांच के बाद ही बच्चे के एचआईवी पॉजिटिव होने या नहीं होने की बात कही जा सकती है. उन्होंने बताया कि जांच के दौरान बच्चे का पिता और माता दोनों पॉजिटिव पाये गये है. जिसे दवा उपलब्ध कराया गया है. साथ ही बच्चे के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है.

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