26 से 28 नवंबर तक मुंगेर विश्वविद्यालय में होगा वार्षिक एथलेटिक्स मीट, तैयारी शुरू
मुंगेर विश्वविद्यालय में 26 से 28 नवंबर के बीच पहली बार वार्षिक एथलेटिक्स मीट का आयोजन होने जा रहा है.
मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय में 26 से 28 नवंबर के बीच पहली बार वार्षिक एथलेटिक्स मीट का आयोजन होने जा रहा है. जिसके लिये विश्वविद्यालय द्वारा तैयारी आरंभ कर दी गयी है. आयोजन को लेकर जहां कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर तथा डीएसडब्लू प्रो. भवेशचंद्र पांडेय ने खेल विभाग के साथ बैठक की. जहां एथलेटिक्स मीट के आयोजन को लेकर 12 अलग-अलग कमिटी बनायी गयी है. गुरुवार को दोनों अधिकारियों ने आयोजन को लेकर सभी अंगीभूत एवं संबद्ध कॉलेजों के साथ ऑनलाइन बैठक की. कुलसचिव ने बताया कि 26 से 28 नवंबर तक विश्वविद्यालय द्वारा पहली बार वार्षिक एथलेटिक्स मीट का आयोजन किया जा रहा है. जिसके लिये तैयारी की जा रही है. इस मीट में एमयू के सभी अंगीभूत एवं संबद्ध कॉलेज की टीमों को भाग लेने का निर्देश दिया गया है. डीएसडब्लू ने बताया कि वार्षिक एथलेटिक्स मीट के लिये सभी अंगीभूत एवं कॉलेजों के साथ ऑनलाइन मीटिंग की गयी है. जिसमें आयोजन को लेकर जानकारी देते हुये सभी कॉलेजों से प्रतिभाग करने को कहा गया है. वहीं विश्वविद्यालय द्वारा मीट आयोजन को लेकर 12 अलग-अलग कमिटी बनायी गयी है. जिसमें मुख्य कमिटी उनके संयोजन में बनायी गयी है. जो सभी तैयारियों की मॉनीटरिंग करेगा. उन्होंने बताया कि एथलेटिक्स मीट का आयोजन विश्वविद्यालय स्तर पर किया जा रहा है. जिसका आयोजन आरडी एंड डीजे कॉलेज के मैदान में होगा.
बोरो खिलाड़ियों का मामला बढ़ायेगा मीट की परेशानी
एमयू के इंटर कॉलेज टूर्नामेंट में कई कॉलेजों द्वारा बोरो यानि बाहरी खिलाड़ियों को खेलाने को लेकर पहले ही विवाद सामने आ चुका है. जबकि पिछले साल ही मगध विश्वविद्यालय में आयोजित विश्वविद्यालय स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान भी एमयू के टीम से बोरो खिलाड़ियों के शामिल होने के कारण विश्वविद्यालय को फजीहत का सामना करना पड़ा था. अब ऐसे में विश्वविद्यालय के वार्षिक एथलेटिक्स मीट के दौरान बोरो खिलाड़ियों का मामला परेशानी खड़ी कर सकता है, क्योंकि विश्वविद्यालय स्तर पर खिलाड़ियों की पहचान होने के डर से एमयू के कई कॉलेज प्रतिभाग करने से हट सकते हैं. हलांकि जिस प्रकार से एमयू का खेल विभाग बोरो खिलाड़ियों के मामले में पूरी तरह लापरवाह बना है. उससे आने वाले समय में खुद विश्वविद्यालय के खेल विभाग को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. हद तो यह है कि एमयू के खेल अधिकारी भी अपने ही विभाग के कई बड़े मामलों की जानकारी नहीं है.
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