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Bihar Land Survey: दादा-परदादा के खतियान निकालने जिला अभिलेखागार में हो रही भीड़, दस्तावेज खोजने में कर्मियों के छूट रहे पसीने

Bihar Land Survey: जिला अभिलेखागार में प्रतिदिन 150 से अधिक फॉर्म प्राप्त हो रहे है. 1908 के दस्तावेज निकलवाने मुंगेर प्रमंडल के खगड़िया, लखीसराय, बेगूसराय, जमुई व शेखपुरा जिले से लोग पहुंच रहे है.

Bihar Land Survey: मुंगेर. बिहार में लगातार बढ़ते भूमि विवाद और इससे उपजे आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने और सही व्यक्ति को उसका वाजिब हक दिलाने के लिए सरकार ने राज्य में विशेष भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू किया है. जिसमें जमीन मालिकों से खतियान, लगान रसीद, जमीन रजिस्ट्री दस्तावेज के साथ वंशावली देना अनिवार्य है. जिसे लेकर लोगों में कागजात जुटाने की होड़ लग गयी है. हर काम को छोड़ कर लोग राजस्व कर्मचारी से लेकर जिला मुख्यालय तक दौड़ लगा रहे हैं. अंचल कार्यालय में जहां रसीद कटाने की भीड़ लगी रहती है, वहीं अभिलेखागार में बाप-दादा-परदादा के खतियान निकालने की होड़ है. कुल मिलाकर कहा जाय तो लोगों आर्थिक, मानसिक और शारीरिक तीनों तरह की परेशानियों को झेल रहे है, बावजूद जमीन के दस्तावेज दुरुस्त करने में पसीना छूट रहा है.

1908 के खतियान को खोजने पांच जिलों से पहुंच रहे लोग

जिला अभिलेखागार में पहले प्रतिदिन 20-30 खतियान का नकल निकालने के लिए पहुंचते थे. लेकिन वर्तमान समय में औसतन प्रतिदिन 140 से 150 खतियान के चिरकुट दाखिल हो रहे है. खतियान के साथ ही एसडीओ, डीसीएलआर, एडीएम के यहां के निर्णय की कॉपी निकालने के लिए भी लोग फॉर्म जमा कर रहे हैं. पिछले तीन-चार दिनों में 500 से अधिक खतियान के नकल के लिए फॉर्म भरे गये है. मुंगेर काफी पुराना जिला है. जिससे कट कर पांच जिले बनाये गये. पूर्व में सरकार के निर्देश पर मुंगेर से कटे जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, बेगूसराय एवं खगड़िया जिला को मुंगेर अभिलेखागार से लाखों अभिलेख सौंप दिया गया था. बावजूद अभी भी इन पांचों जिलों के लाखों अभिलेख यहां पड़े हुए हैं. जिसके कारण लोग अपने दादा-परदादा के नाम का खतियान खोजने के लिए आवेदन कर रहे है. एक कर्मचारी ने बताया कि यहां पर वर्ष 1908 के खतियान को लेकर भी आवेदन प्राप्त हुआ है.

दादा-परदादा के खतियान निकालने में छूट रहा पसीना

जमीन सर्वे का काम शुरू होने से जिला अभिलेखागार पर दबाव बढ़ गया है. जिसके कारण रैयत और वहां तैनात कर्मचारियों के पसीने छूट रहे है. मुंगेर अभिलेखागार में 18 पदाधिकारी व कर्मी का पद स्वीकृत था. जिसके विरुद्ध मात्र 7 कर्मचारी ही मौजूद है. जिसमें एक पदाधिकारी, एक सहायक प्रशासी पदाधिकारी, एक बड़ा बाबू, एक उच्चवर्गीय लिपिक, दो निम्नवर्गीय लिपिक और एक कार्यालय प्रचारी शामिल है. जिला अभिलेख अधिकारी को मुंगेर के अलावे क्षेत्रीय अभिलेख कार्यालय भागलपुर का भी प्रभार है. जिसके कारण वे शुक्रवार व शनिवार को भागलपुर चले जाते हैं. जिसके कारण नकल की कापी पर हस्ताक्षर नहीं होने से नकल की कापी रैयतों को नहीं मिल पाती है.

12 लाख फोल्डर का हो चुका डिजिटलाइजेशन

जिला अभिलेखागार के 12 लाख फोल्डर का डिजिटलाइजेशन हो चुका है. लेकिन जांच के अभाव में मात्र 4 से 5 लाख फोल्डर ही सही रूप से इस पर है. अगर डिजिटलाइजेशन वाला फोल्डर पकड़ता है तो एक-दो दिनों में खतियान का नकल दे दिया जाता है. लेकिन लाखों फोल्डर नष्ट है. जिसके कारण उसकी नकल देना असंभव है. हजारों दस्तावेज पुराने होने के कारण वह छूते ही चूर हो जा रहा है. यही कारण है कि बाप, दादा और परदादा के खतियान निकालने में लोगों का पसीना छूट रहा है.

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कहते हैं अधिकारी
पिछले एक सप्ताह से खतियान का नकल पाने के लिए लोगों की भीड़ बढ़ी है. प्रतिदिन 150 के करीब फॉर्म जमा हो रहे है. एक सप्ताह में 273 लोगों को इसका दस्तावेज उपलब्ध कराया जा चुका है. डॉ चिंतन चंद्रा, जिला अभिलेख पदाधिकारी

गांव व टोलों में परदेशियों की बढ़ने लगी भीड़

मुंगेर जिले के हजारों लोग नौकरी, व्यापार सहित अन्य पेशा के लिए दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं. लेकिन बिहार में जब भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू हुआ तो ऐसे परदेशी अपने बाप-दादा-परदादा की जमीन पर स्वयं का स्वामित्व सिद्ध करने अपने पैतृक गांव पहुंच रहे है. बहुत से रैयत के पास लगान रशीद है, लेकिन खतियान व अन्य जरूरी कागजात नहीं है. जो राजस्व कर्मचारी, सीओ के यहां दौड़ लगा रहे है.

जमीन मालिकों को देना है ये डाक्यूमेंट्स

डाक्यूमेंट्स सर्वे के लिए जमीन मालिकों को अपने स्व. घोषणा पत्र के साथ भूमि के स्वामित्व संबंधी दस्तावेज जैसे जमाबंदी रजिस्टर, लगान रसीद, एलपीसी, वासगीत परचा, दान, विनिमय, जमीन का खतियान, केवाला, वंशावली, बंटवारा के कागज आदि डाक्यूमेंट्स संलग्न करना होगा.

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