ठंड गिरते ही सैलानी पहुंचने लगे बिहार के ऋषिकुंड, पूरे साल इस कुंड में रहता है गर्म जल, जानें औषधीय महत्व
औषधीय गुणों से भरपूर एवं रामायण काल में तपोस्थल के नाम से मशहूर स्थल ऋषिकुंड ठंड गिरते ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने लगा है. वैसे तो सालों भर चाहे गर्मी का मौसम हो या बरसात का, सैलानियों का आगमन यहां होते रहता है. हालांकि कोरोना संक्रमण को लेकर सैलानियों का ऋषिकुंड में आना प्रभावित हुआ था.
औषधीय गुणों से भरपूर एवं रामायण काल में तपोस्थल के नाम से मशहूर स्थल मुंगेर का ऋषिकुंड ठंड गिरते ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने लगा है. वैसे तो सालों भर चाहे गर्मी का मौसम हो या बरसात का, सैलानियों का आगमन यहां होते रहता है. हालांकि कोरोना संक्रमण को लेकर सैलानियों का ऋषिकुंड में आना प्रभावित हुआ था.
तीन माह पूर्व प्रत्येक 3 वर्ष पर लगने वाले मलमास मेला का आयोजन भी हुआ था. परंतु कोरोना को लेकर सरकार द्वारा सख्त प्रतिबंध था कि कहीं पर भी भीड़ इकट्ठी नहीं होगी और न ही किसी प्रकार का मेला का आयोजन किया जायेगा. इसलिए ऋषिकुंड में मलमास मेला में लगने वाले दर्जनों दुकान की जगह एक भी दुकान नहीं लगाया गया था. लेकिन एक बार फिर ऋषिकुंड गुलजार होने लगा है.
अब ठंड बढ़ी है तो काफी संख्या में लोग ऋषिकुंड के गर्म जल का आनंद लेने पहुंच रहे हैं. ऋषि कुंड में आकर औषधीय गुणों से भरपूर गर्म जल में अपना भोजन बनाकर भोजन को ग्रहण कर रहे हैं. क्योंकि यहां के जल में बनाये गये भोजन बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं. साथ ही यहां के पानी में स्नान करने से कई बीमारी भी दूर हो जाते हैं. यहां का गर्म जल पीने से लोगों की पाचन शक्ति भी बढ़ जाती है. अपने में हरियाली समेटे ऋषिकुंड स्थल लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है.ु
धार्मिक मान्यता में मशहूर होने के कारण यहां पर लोग मन्नतें भी मांगते हैं और उनकी मन्नतें पूर्ण होने पर पूजा-पाठ करने आते हैं. आसपास गांव के लोग अपने घरों में आये अतिथियों को भी ऋषि कुंड स्थल घुमाने ले जाते हैं. परंतु विडंबना है कि ऐसे धार्मिक एवं औषधीय गुणों से भरपूर जल लिए हुए ऋषि कुंड स्थल सरकारी स्तर पर उपेक्षित है. अभी तक इसे पर्यटन स्थल का भी दर्जा नहीं मिल पाया है. पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने के लिए पूर्व मंत्री शैलेश कुमार ने प्रयास किया था. परंतु वर्तमान समय तक सफलता नहीं मिल पायी. ऋषिकुंड को पर्यटन स्थल का दर्जा देकर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है.
Posted by : Thakur Shaktilochan