मुंगेर. शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय व कॉलेजों में बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही शिक्षकों व कर्मियों के वेतन भुगतान का निर्देश है. विश्वविद्यालय और कॉलेजों में बायोमेट्रिक मशीन लगाई भी गई है. शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर इसकी निगरानी भी की जा रही है, लेकिन मुंगेर विश्वविद्यालय में बायोमेट्रिक से उपस्थिति बनाने के नियमों का पालन नहीं हो रहा है. एमयू के कई अंगीभूत कॉलेजों में लंबे समय से बायोमेट्रिक मशीन ही खराब है. अधिकांश कॉलेजों में तो प्राचार्य का भी बायोमेट्रिक उपस्थिति नहीं बन रही है. एमयू के पीजी विभागों में पढ़ाने वाले विभागाध्यक्षों और शिक्षकों का कोई बायोमेट्रिक डाटा उपलब्ध नहीं है.
अधिकांश कॉलेजों में खराब पड़ी है बायोमेट्रिक मशीन
एमयू के कॉलेजों में शिक्षा विभाग द्वारा ही बायोमेट्रिक सिस्टम लगाया गया था, ताकि शिक्षक व कर्मियों की बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही उनके वेतन का भुगतान हो सके. लेकिन अधिकांश कॉलेजों में बायोमेट्रिक मशीन लंबे समय से खराब पड़ी है. जिसके कारण कॉलेज वेतन डिमांड के समय केवल बायोमेट्रिक नॉट वर्किंग लिखकर विश्वविद्यालय को भेज रहे हैं. जिसके आधार पर विश्वविद्यालय शिक्षकों व कर्मियों को वेतन भुगतान भी कर रहा है. अब ऐसे में कॉलेजों में कौन से शिक्षक कितने दिन आते हैं और कितने दिन कक्षा लेते हैं. इसका लेखा-जोखा तक विश्वविद्यालय के पास नहीं है.प्राचार्यों की ही नहीं है बन रही बायोमेट्रिक उपस्थिति
एमयू के 17 अंगीभूत कॉलेजों में एक साल से एक भी स्थायी प्राचार्य नहीं हैं. इससे वहां के वरीय शिक्षक के पास ही कॉलेज के प्राचार्य का प्रभार है, लेकिन शिक्षक होने के बावजूद एमयू के किसी भी अंगीभूत कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य की भी बायोमेट्रिक उपस्थिति नहीं बनती है. अब ऐसे में सवाल यह है कि जब प्रभारी प्राचार्य खुद कॉलेज के शिक्षक हैं, तो उनकी उपस्थिति भी बायोमेट्रिक से बननी है. जिसके आधार पर ही प्रभारी प्राचार्यों के वेतन का भुगतान होना है.पीजी हेड का नहीं है कोई बायोमेट्रिक डाटा
एमयू के तीन कॉलेजों में दो सालों से 20 पीजी विभाग चल रहे हैं. जिसके पीजी हेड कॉलेजों के शिक्षक ही हैं. सहायक प्राध्यापक ही अपने कॉलेजों के साथ रोस्टेशन के आधार पर पीजी विभागों में पढ़ा रहे हैं, लेकिन एमयू के पास अपने पीजी विभागों में पढ़ाने वाले पीजी हेड तथा शिक्षकों का भी कोई बायोमेट्रिक डाटा नहीं है. कुल मिलाकर कहा जाये तो पीजी विभागों में अब भी रजिस्ट्रर पर ही पीजी हेड तथा शिक्षकों की उपस्थिति बन रही है. ऐसे में कौन से पीजी विभागाध्यक्ष अपने विभाग में कब आते हैं और कब जाते हैं. इसका लेखा-जोखा तक एमयू के पास नहीं है. हालांकि वेतन भुगतान के समय संबंधित कॉलेजों से पीजी का डेटा भेजा जाता है, लेकिन यह भी आधा-अधूरा ही होता है.कहते हैं कुलसचिव
एमयू के कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर ने बताया कि अधिकांश कॉलेजों में बायोमेट्रिक सिस्टम खराब है. जिसे ठीक कराया जायेगा. विभाग अब एचएमएस पोर्टल से शिक्षक व कर्मियों की उपस्थिति बनाने की तैयारी कर रहा है. जिसे जल्द ही आरंभ किया जायेगा. जिससे सीधे विभाग उपस्थिति की स्थिति को देख सकेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है