मुंगेर में पीला बालू का काला कारोबार, न चालान- न लाइसेंस, फिर चल रहा बालू व गिट्टी का अवैध डीपो
मुंगेर में पीला बालू का काला कारोबार
– जिम्मेदारों का है मौन समर्थन, सरकारी राजस्व और उपभोक्ता दोनों को लग रहा चुना
– जिले में मात्र दो है लाइसेंसधारी, बाकी सब अवैध, पुलिस व खनन विभाग नहीं कर रही कार्रवाई
फोटो संख्या –
फोटो कैप्शन – 4,5- मुंगेर शहर में अवैध रूप से चल रहा बालू व गिट्टी का डीपो
प्रतिनिधि, मुंगेर
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जिले में आये दिन नयी-नयी इमारतें खड़ी हो रही हैं. इन इमारतों को खड़ा करने में गिट्टी और बालू का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है. इसके लिए बाकायदा पूरे जिले में सप्लायरों ने अपनी-अपनी दुकानें खोल ली हैं. लेकिन जब प्रभात खबर की टीम ने कुछ ऐसे ही डीपो की पड़ताल की गयी तो किसी के पास भी खनन विभाग का स्टॉकिस्ट लाइसेंस नहीं था. न चालान और न ही लाइसेंस, फिर भी यह काला धंधा शान से यहां चल रहा है. हालात यह है प्रतिदिन लाखों में हो रहे इस कारोबार से न तो सरकार को राजस्व मिल रहा है और न ही उपभोक्ताओं को राहत है. यानी सरकारी खजाने और उपभोक्ता दोनों को बालू-गिट्टी के अवैध कारोबारी चुना लगा रहे है और कारोबारी मालामाल हो रहे है.
मात्र दो लाइसेंस खनन विभाग से है जारी, बांकी सभी अवैध
जिला खनन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में मात्र दो लाइसेंसधारी है. जिसको स्टॉक करने और चालान पर उसकी ढुलाई करने का अधिकार है. यह लाइसेंसधारी कोई और नहीं बल्कि मुंगेर-मिर्जाचौकी फोरलेन का काम कर रही कंपनी मोंटीकार्लो है. इसके अलावे जिले में किसी भी डीपो के पास इसका लाइसेंस नहीं है. जबकि मुंगेर शहर और शहर से सटे ग्रामीण इलकों में 50 से अधिक बालू-गिट्टी का डीपो चल रहा है. जो पूरी तरह से अवैध है.
शहर से लेकर गांव तक फैला है बालू व गिट्टी का अवैध कारोबार
गिट्टी-बालू की बिक्री बिना चालान और बिना लाइसेंस के धड़ल्ले से हो रहा है. मुंगेर शहर के कासिम बाजार थाना के हेरूदियारा से लेकर करबल्ला व चुआबाग तक दर्जन भर अवैध डीपो है. यहां तक कि ईंट भट्ठा पर भी अवैध रूप से बालू को स्टॉक कर रखा गया है. जहां से ट्रैक्टर के माध्यम से उसकी विक्री की जा रही है. इसके साथ ही मकससपुर, सफियासराय व मुंगेर- जमालपुर मार्ग में भी कई अवैध डीपो का संचालन हो रहा है. इसके अलावा शहर के वासदेवपुर, नीलम रोड, मुफस्सिल थाना के सुजावलपुर, मुबारकचक कब्रिस्तान के समीप, मुंगेर-सीताकुंड मुख्य मार्ग कटरिया, आइटीसी क्वार्टर के समीप, नौवागढ़ी, सहित अन्य दर्जनों जगहों पर यह गोरखधंधा चल रहा है.
जिम्मेदारों के मौन समर्थन से फल-फूल रहा धंधाअवैध खनिज सामग्री बेचने के लिए खनन विभाग से स्टॉकिस्ट का लाइसेंस लेना अनिवार्य है. अगर इस कारोबार को नियम विरुद्ध करता है तो खनन विभाग की टीम छापेमारी कर उसका स्टॉक जब्त कर उससे जुर्माना वसूल करेंगी. इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर अवैध कारोबारियों के खिलाफ संबंधित थाना में प्राथमिकी दर्ज किया जा सकता है. लेकिन कार्रवाई के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति होती है. जगह-जगह सड़क किनारे आपको बालू व गिट्टी का स्टॉक आपको दिख जायेगा. लेकिन जिम्मेदारों को यह दिखाई नहीं पड़ता है. जबकि सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर से बालू व गिट्टी की ढुलाई बिना चालान के होती है. लेकिन जिम्मेदार इन ट्रैक्टरों को पकड़ती तक नहीं है. जानकार बताते है कि खानन विभाग और संबंधित थाना की मिली भगत से यह कारोबार मुंगेर में फल-फूल रहा है.
सरकारी खजाने और उपभोक्ता दोनों को लगा रहा चुना
वर्तमान समय में बालू का उत्खनन पूरे बिहार में बंद है. जो अक्टूबर तक जारी रहेगा. अवैध डीपो में जो बालू व गिट्टी पहुंच रहा है वह स्टॉक चालान पर पहुंच रहा है. ट्रक चालकों के स्टॉक चालान पर ही बालू-गिट्टी के कारोबारी डीपो चला रहा है. एक डीपो संचालक ने बताया कि 100 सीएफटी बालू वर्तमान समय में 6500 से 7000 रूपया है. जबकि गिट्टी प्रति 100 सीएफटी 9500 से 9800 रूपया है. प्रतिदिन 50 लाख का कारोबार सिर्फ शहरी क्षेत्र एवं शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र में हो रहा है. लेकिन सरकार को एक चवन्नी भी नहीं राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है. इतना ही नहीं यह कारोबार सिर्फ सरकार को नहीं उपभोक्ता को भी चुना लगा है. क्योंकि ट्रैक्टर पर 100 सीएफटी बालू व गिट्टी कह कर उपभोक्ता को बेचता है उसमें 70 से 80 सीएफटी ही बालू व गिट्टी रहता है.
कहते हैं खनन पदाधिकारी
खनन विभाग मुंगेर के प्रभारी पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि शीघ्र ही टीम तैयार कर अवैध रूप से सड़क किनारे बालू व गिट्टी का कारोबार करने पर शिकंजा कसा जायेगा. जिसने भी अपने डीपो में बालू व गिट्टी का बड़े पैमाने पर स्टॉक कर कारोबार कर रहा है. उसके खिलाफ अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई की की जायेगी.
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