बिना चिकित्सक के ही चल रहा जिले में राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम
डीआईईसी भवन भी अबतक अधूरा, फर्मासिस्ट व एएनएम कर रही जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों को चिन्हित, प्रभार में जिला कॉडिनेटर तक का पदफोटो संख्या -
– डीआइइसी भवन भी अबतक अधूरा, फर्मासिस्ट व एएनएम कर रही जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों को चिन्हित, प्रभार में जिला कॉडिनेटर तक का पद
मुंगेर. जिले में स्वास्थ्य योजनाओं का भी हाल बुरा है. हाल यह है कि जहां लंबे समय से मुंगेर बिना सर्जन चिकित्सक के है. वहीं जिले में जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिये चल रही राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम (आरबीएसके) का संचालन बिना चिकित्सक के ही हो रहा है. जिला मुख्यालय सहित जिले के प्रत्येक प्रखंड में कार्यरत आरबीएसके टीम द्वारा पिछले दो माह से एक भी जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों की पहचान नहीं हो पायी है. हद तो यह है कि मुख्यालय में इन जन्मजात बच्चों को भर्ती किये जाने के लिये बन रहा डीईआईसी सेंटर 7 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है.दो माह से बिना चिकित्सक के आरबीएसके की टीम
बता दें कि जिले में जिला मुख्यालय सहित सभी 9 प्रखंडों में आरबीएसके की एक-एक टीम कार्यरत है. जिसमें नियमानुसार तो एक चिकित्सक, एक फर्मासिस्ट और एक एएनएम को होना है. लेकिन पिछले दो माह से जिले में आरबीएस के टीम में एक भी चिकित्सक नहीं है. हद तो यह है कि जिला मुख्यालय में आरबीएसके टीम सहित कार्यक्रम के मॉनिटरिंग को लेकर जिला कॉडिनेटर तक का पद तक प्रभार में चल रहा है. वहीं दो माह से आरबीएसके टीम में चिकित्सक के नहीं होने से जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिये स्कूलों और आंगनबाड़ी में कैंप तक नहीं लग पाया है.पिछले साल 6,227 बीमार बच्चों की हुयी थी पहचान
बता दें किवर्ष 2023 में आरबीएसके टीम द्वारा कुल 6,227 बीमार बच्चों की पहचान की गई थी. जिसमें जन्मजात बीमारी के 157, विभिन्न बीमारी से ग्रसित 4,643, कमजोर व कुपोषित 1,362 तथा समय के अनुरूप शारीरिक विकास नहीं करने वाले 65 बच्चों की पहचान हुई थी. इसमें से 474 बच्चों को पटना व अहमदाबाद जैसे हायर सेंटर भेज कर इलाज व ऑपरेशन कराया गया. लेकिन डॉक्टर नही रहने के कारण मार्च 2024 के बाद से दो माह तक जन्मजात बीमारी से ग्रसित बच्चों की जांच का काम ठप रहा. हालांकि सिविल सर्जन के आदेश पर नये योगदान करने वाले आयुष चिकित्सक द्वारा जून माह में 5 बच्चों की जांच कर हृदय में छेद वाले दो 02 बच्चों को बेहतर इलाज के लिए आईजीईएमएस पटना भेजा गया है. लेकिन इसके बावजूद चिकित्सकों की कमी के कारण लगातार आरबीएसके की योजना प्रभावित हो रही है.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि आरबीएसके टीम में साथ नए आयुष चिकित्सकों को लगाया गया है. जिनके द्वारा जून माह से लगातार कैंप कर जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों की पहचान की जा रही है.———————————————————बॉक्स
———————————————————–वर्ष 2023 में प्रखंडवार चिन्हित जन्मजात बीमार बच्चों की संख्या
प्रखंड जन्मजात बीमार कमजोर कम वजन वाले बच्चे कुल
सदर प्रखंड 14 1,801 17 9 1841बरियारपुर 00 40 29 0 69
टेटियाबंबर 2 33 5 2 42जमालपुर 7 32 61 5 105
संंग्रामपुर 2 428 1,143 7 1,580तारापुर 102 18 38 5 163
धरहरा 8 91 10 5 114असरगंज 00 843 18 4 865
खड़गपुर 22 1,357 41 28 1,448————————————————————-
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7 सालों में भी नहीं बन पाया है डीईआईसी सेंटर
मुंगेर – बता दें कि साल 2017 में ही सरकार द्वारा मुंगेर जिले में आरबीएसके के तहत जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिये डीईआईसी सेंटर बनाने की स्वीकृति दी गयी. जिसके बाद साल 2018 में बीएमआईसीएल द्वारा जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय के समीप डीईआईसी सेंटर का निर्माण आरंभ किया गया. लेकिन 7 साल बाद भी अबतक डीआईसीयू सेंटर अधूरा पड़ा है. जबकि जिले में आरबीएसके के तहत डीईआईसी सेंटर कार्यालय वर्तमान में अपने भवन की आस में सदर अस्पताल के नये पोस्टमार्टम हाउस में संचालित हो रहा है.
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