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नियमों का उल्लंघन : निजी वाहनों का हो रहा व्यवसायिक इस्तेमाल, सरकारी राजस्व की भारी क्षति

सरकारी कार्यालयों में हो रहा प्राइवेट नंबर वाले वाहनों का कॉमर्शियल उपयोग, अधिकारी गंभीर नहीं

मुंगेर. मुंगेर जिले में निजी रजिस्ट्रेशन नंबर वाले वाहनों का धड़ल्ले से कॉमर्शियल उपयोग हो रहा है. आम लोगों के साथ ही सरकारी अधिकारी भी इन प्राइवेट गाड़ियों का टैक्सी की तरह प्रयोग कर रहे हैं. कई ऐसे विभाग हैं, जहां पर प्राइवेट वाहन का उपयोग किया जा रहा है और इन वाहनों के भाड़ा का भुगतान कॉमर्शियल वाहन के हिसाब से किया जा रहा है. इससे परिवहन विभाग को राजस्व की भारी क्षति हो रही है.

निजी वाहनों का हो रहा कॉमर्शियल प्रयोग

सड़कों पर दौड़ते वाहनों पर आपने सफेद और पीले रंग की नंबर प्लेटें देखी होगी. सफेद रंग की प्लेट प्राइवेट वाहनों के लिए होती है, जबकि पीले रंग की नंबर प्लेट कॉमर्शियल वाहनों की होती है. सफेद रंग के नंबर प्लेट वाले वाहनों का उपयोग कॉमर्शियल में नहीं किया जा सकता है. लेकिन मुंगेर में निजी नंबर प्लेट वाले वाहनों का धड़ल्ले से कॉमर्शियल उपयोग किया जा रहा है. आम लोगों के साथ ही सरकारी कार्यालय में निजी वाहनों का कॉमर्शियल उपयोग किया जा रहा है. समाहरणालय के सामने, सूचना भवन के गेट के बाहर दर्जनों निजी नंबर प्लेट वाले लग्जरी वाहन लगे मिलेंगे, जिस पर सरकारी कार्यालय एवं अधिकारी के पद का बोर्ड लगा रहता है. सड़कों पर इस तरह के वाहनों पर सरकारी अधिकारी को सवारी करते देख सकते हैं. इतना ही नहीं सितारिया चौक पर दर्जनों निजी वाहन लगे रहते हैं, जिसका प्रयोग सवारी ढोने में किया जाता है. कुल मिलाकर कहा जाये, तो मुंगेर जिले में निजी वाहनों का अब भी बड़े पैमाने पर कॉमर्शियल उपयोग किया जा रहा है.

जुर्माना व सजा दोनों का है प्रावधान

परिवहन एक्ट 2016 के संशोधन के बाद प्राइवेट वाहनों के कॉमर्शियल इस्तेमाल पर जुर्माने के साथ सजा का प्रावधान है. कोई प्राइवेट रजिस्ट्रेशन पर वाहन का कॉमर्शियल इस्तेमाल करते पहली बार पकड़ाये, तो 2000-5000 रुपये का जुर्माना या तीन माह की सजा या दोनों हो सकती है. दूसरी बार पकड़ाने पर 5000-10000 हजार का जुर्माना या एक साल की सजा या दोनाें का प्रावधान है, लेकिन मामले में परिवहन विभाग पूरी तरह लापरवाह है. हाल के वर्षों में ऐसे मामलों में न तो कोई कार्रवाई की गयी है और न ही जुर्माना वसूला गया है.

जाने किस तरह हो रही है राजस्व की क्षति

परिवहन विभाग के अनुसार कोई प्राइवेट वाहन का रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो उन्हें कम पैसे देने पड़ते हैं. वाहन की कीमत के अनुसार उसकी रजिस्ट्रेशन फीस तय होता है. उनके वाहन का फिटनेस व टैक्स लाइफटाइम के लिए एक बार में जमा होता है. यानी कम पैसे में प्राइवेट वाहन का फिटनेस 15 साल व टैक्स भी 15 साल के लिए जमा होता है. यदि कॉमर्शियल वाहन का रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो रजिस्ट्रेशन में भी अधिक राशि लगती है और उनका टैक्स 3, 6 या 12 माह के लिए जमा लिया जाता है. ऐसे में कॉमर्शियल वाहन को हर साल फिटनेस व टैक्स के लिए विभाग को पैसे देने पड़ते हैं.

कहते हैं अधिकारी

जिला परिवहन पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार अलवेला ने बताया कि प्राइवेट वाहनों का कॉमर्शियल उपयोग अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसे मामलों में सजा व जुर्माना दोनों का प्रावधान है. मुख्यालय के निर्देश पर प्राइवेट वाहनों के कॉमर्शियल उपयोग के खिलाफ जिले में शीघ्र ही टीम बनाकर अभियान चलाया जायेगा. इसमें जुर्माना वसूली के साथ सम्मन तक की कार्रवाई की जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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