प्रमोशन प्रक्रिया के बाद अब शिक्षकों में शुरू हो गया विभागाध्यक्ष बनने की होड़

मुंगेर विश्वविद्यालय में शिक्षकों के प्रमोशन की अधिसूचना विश्वविद्यालय द्वारा राजभवन के आदेश के बाद सिंडिकेट बैठक आयोजित कर की गयी

By Prabhat Khabar News Desk | August 30, 2024 7:06 PM

अर्थशास्त्र व राजनीतिशास्त्र के शिक्षक अब भी अपने प्रमोशन के लिये कर रहे इंतजार, प्रतिनिधि, मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय में शिक्षकों के प्रमोशन की अधिसूचना विश्वविद्यालय द्वारा राजभवन के आदेश के बाद सिंडिकेट बैठक आयोजित कर की गयी, लेकिन प्रमोशन की अधिसूचना जारी होते ही अब खुद एमयू के शिक्षकों में विभागाध्यक्ष बनने की होड़ लग गयी है. ऐसे में जहां अबतक विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने ही दो विषयों के शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर राजभवन से स्वीकृति मिलने की वकालत कर रहे हैं, वहीं विश्वविद्यालय में कुलपति का पद प्रभार में चलने और राजभवन से अबतक प्रभारी कुलपति को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं मिलने के बावजूद खुद प्रमोशन पा चुके शिक्षक अपनी वरीयता सुनिश्चित करने राजभवन तक को पत्र लिख रहे हैं.

प्रमोशन के बाद शुरू हो गया वरीय बनने का होड़

एमयू द्वारा पूर्व कुलपति प्रो श्यामा राय के कार्यकाल के अंतिम समय में ही शिक्षकों को प्रोन्नति दी गयी. जिसके लिये 3 अगस्त को अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. बाबजूद एमयू के शिक्षकों में खुद की वरीयता के अनुसार विभागाध्यक्ष बनने की होड़ शुरू हो गयी है, क्योंकि एमयू के पीजी विभागों में कई विभागाध्यक्ष प्रमोशन प्रक्रिया के बाद दूसरे शिक्षकों से जूनियर हो गये हैं. ऐसे में भले ही एमयू में कई महत्वपूर्ण कार्य विश्वविद्यालय को स्थायी कुलपति अबतक नहीं मिलने के कारण लंबित पड़े हैं, वहीं विश्वविद्यालय के शिक्षक खुद को वरीयता के आधार पर विभागाध्यक्ष का पद देने के लिये राजभवन से स्वीकृति मांगने लगे हैं.

एमयू के पास नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं

एक ओर जहां एमयू के शिक्षक प्रमोशन प्रक्रिया के बाद अपनी वरीयता के आधार पर विभागाध्यक्ष बनने के लिये तैयार हैं. वहीं विश्वविद्यालय में कई कार्य लंबित हैं, क्योंकि खुद विश्वविद्यालय के पास अबतक नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. बता दें कि लगभग दो माह से एमयू के जमालपुर काॅलेज, जमालपुर के लिये प्राचार्य नियुक्त करने को लेकर राजभवन से अबतक स्वीकृति नहीं मिल पायी है. वहीं विश्वविद्यालय में कई डीन और पीजी हेड तक राजभवन से स्वीकृति की प्रत्याशा में नियुक्त नहीं हो पाये हैं. जिसके कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई तक प्रभावित हो रही है.

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