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मुंगेर गंगा नदी में विभिन्न प्रजाति के 2.50 लाख मछली का जीरा छोड़ा गया

गंगा नदी में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) कोलकाता द्वारा रविवार को सोझी घाट पर राष्ट्रीय नदी रैंचिंग कार्यक्रम 2024 का आयोजन किया गया.

प्रतिनिधि, मुंगेर. गंगा नदी में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) कोलकाता द्वारा रविवार को सोझी घाट पर राष्ट्रीय नदी रैंचिंग कार्यक्रम 2024 का आयोजन किया गया. जहां जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह द्वारा गंगा नदी में 2.50 लाख मछली बीज को छोड़ा गया. सिफरी के निदेशक डॉ बिके दास के मार्गदर्शन में (कतला, रोहू तथा मृगल) मछलियों के बीज को गंगा नदी में रैंचिंग सह जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत संचय किया गया. डीएम ने कहा कि इस वर्ष गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के 30 लाख से ज्यादा बीज का रैंचिंग किया गया है. ताकि गंगा में विलुप्त हो रहे मछलियों के प्रजातियों को बचाया जा सके. उन्होंने आमजन से गंगा की स्वच्छता के लिए भी लोगों को जागरूक होने की अपील की. जिला गंगा समिति के जिला परियोजना पदाधिकारी शालीग्राम प्रसाद ने गंगा को स्वच्छ रखने एवं जैव विविधता को बचाने के लिए लोगों से आह्वान किया. सिफरी के वैज्ञानिक डॉ गणेश चंद्र, सदस्य माला कुमारी, सूरज कुमार चौहान, प्रदत्त मालाकार ने जैव विविधता और मछलियों के बारे में जागरूक किया तथा गंगा को साफ रखने की अपील की. जिला मत्स्य अधिकारी मनीष रस्तोगी जमालपुर के मत्स्यजीवी सदस्य पीएन चौधरी, आसपास गांव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लाेगों ने भाग लिया.

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