प्रतिनिधि, मुंगेर. जुलाई और अगस्त माह मुंगेर विश्वविद्यालय के लिये वैसे ही हंगामेदार रहा. वहीं अब राजभवन से पत्र आने के बाद एमयू मुख्यालय सहित शिक्षकों और कर्मियों में चर्चा का माहौल गर्म हो गया है. हाल यह है कि इन दिनों एमयू में सबसे अधिक चर्चा राजभवन से आये कुलाधिपति के पत्र की ही हो रही है. विदित हो कि 6 अगस्त को राजभवन द्वारा एमयू की कुलपति को एक पत्र भेजा गया है. इसमें कुलाधिपति द्वारा कहा गया है कि 10 मई को ही कुलपति के अधिकारों को सीमित कर दिया गया है. वहीं हाल के दिनों में सूचना मिली है कि कुलपति द्वारा कई मामलों में नीतिगत निर्णय लिया गया है. जबकि अधिकार सीमित होने के बाद कुलपति द्वारा किसी प्रकार का नीतिगत निर्णय बिना कुलाधिपति से स्वीकृति प्राप्त किये नहीं करना है. ऐसे में पत्र प्राप्ति के बाद से विश्वविद्यालय द्वारा किसी प्रकार का नीतिगत निर्णय नहीं लिया जायेगा, यदि इसके बावजूद किसी प्रकार का नीतिगत निर्णय लिया जाता है तो वह स्वत: ही अमान्य होगा. जबकि विश्वविद्यालय द्वारा बीते दिनों लिये गये सभी नीतिगत निर्णयों की समीक्षा की जायेगी. हालांकि, पत्र में किसी विशेष प्रकार के नीतिगत निर्णय को लेकर चर्चा नहीं की गयी है, लेकिन विश्वविद्यालय में पत्र मिलने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. अधिकारियों से लेकर शिक्षकों व कर्मियों के बीच कुलाधिपति के पत्र को लेकर चर्चा चल रही है.
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